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ऑपरेशन सिंदूर पर CDS अनिल चौहान ने कहा.. युद्ध में नुकसान होता है, क्या लक्ष्य हासिल किया ये महत्वपूर्ण...
ऑपरेशन सिंदूर पर CDS अनिल चौहान ने कहा.. युद्ध में नुकसान होता है, क्या लक्ष्य हासिल किया ये महत्वपूर्ण...

ऑपरेशन सिंदूर पर CDS अनिल चौहान ने कहा.. युद्ध में नुकसान होता है, क्या लक्ष्य हासिल किया ये महत्वपूर्ण...
सीडीएस अनिल चौहान का यह बयान सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय में ‘भविष्य के युद्ध’ पर एक विशेष व्याख्यान देते समय आया, जहां उन्होंने वैश्विक संघर्ष, बढ़ती तकनीकी चुनौतियों के उभरते स्वरूप के बारे में बात की थी.
ऑपरेशन सिंदूर पर सीडीएस अनिल चौहान ने कहा कि युद्ध में नुकसान होता है लेकिन नुकसान महत्वपूर्ण नहीं है. महत्वपूर्ण है कि आपने क्या लक्ष्य पाया. उन्होंने कहा, भारत और पाकिस्तान दोनों ही देशों ने सैन्य क्षमता का विकास किया है लेकिन किसी ने भी अपनी सैन्य क्षमता को असल में युद्ध के मैदान में कभी इस्तेमाल नहीं किया था.
उनका यह बयान सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय में ‘भविष्य के युद्ध' पर एक विशेष व्याख्यान देते समय आया, जहां उन्होंने वैश्विक संघर्ष, बढ़ती तकनीकी चुनौतियों के उभरते स्वरूप के बारे में बात की थी.
उन्होंने कहा, "इस युद्ध की शुरुआत पहलगाम आतंकी हमले से हुई थी. क्या आतंकवाद युद्ध का एक तर्कसंगत कार्य है? मुझे नहीं लगता कि ऐसा इसलिए है क्योंकि आतंकवाद का कोई परिभाषित तर्क नहीं है... जहां तक हमारे विरोधी का सवाल है, उसने भारत को हजारों घाव देकर खून बहाने का फैसला किया है...1965 में, जुल्फिकार अली भुट्टो ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को संबोधित करते हुए भारत के खिलाफ एक हजार साल के युद्ध की घोषणा की थी..."
ऑपरेशन सिंदूर पर CDS अनिल चौहान ने कहा.. युद्ध में नुकसान होता है, क्या लक्ष्य हासिल किया ये महत्वपूर्ण...

सीडीएस अनिल चौहान का यह बयान सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय में ‘भविष्य के युद्ध’ पर एक विशेष व्याख्यान देते समय आया, जहां उन्होंने वैश्विक संघर्ष, बढ़ती तकनीकी चुनौतियों के उभरते स्वरूप के बारे में बात की थी.
ऑपरेशन सिंदूर पर सीडीएस अनिल चौहान ने कहा कि युद्ध में नुकसान होता है लेकिन नुकसान महत्वपूर्ण नहीं है. महत्वपूर्ण है कि आपने क्या लक्ष्य पाया. उन्होंने कहा, भारत और पाकिस्तान दोनों ही देशों ने सैन्य क्षमता का विकास किया है लेकिन किसी ने भी अपनी सैन्य क्षमता को असल में युद्ध के मैदान में कभी इस्तेमाल नहीं किया था.
उनका यह बयान सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय में ‘भविष्य के युद्ध' पर एक विशेष व्याख्यान देते समय आया, जहां उन्होंने वैश्विक संघर्ष, बढ़ती तकनीकी चुनौतियों के उभरते स्वरूप के बारे में बात की थी.
उन्होंने कहा, "इस युद्ध की शुरुआत पहलगाम आतंकी हमले से हुई थी. क्या आतंकवाद युद्ध का एक तर्कसंगत कार्य है? मुझे नहीं लगता कि ऐसा इसलिए है क्योंकि आतंकवाद का कोई परिभाषित तर्क नहीं है... जहां तक हमारे विरोधी का सवाल है, उसने भारत को हजारों घाव देकर खून बहाने का फैसला किया है...1965 में, जुल्फिकार अली भुट्टो ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को संबोधित करते हुए भारत के खिलाफ एक हजार साल के युद्ध की घोषणा की थी..."