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दिल्ली में कामकाजी महिलाओं के लिए सरकार ने नाइट शिफ्ट में काम करने की दी इजाजत

दिल्ली सरकार ने श्रम विभाग को महिलाओं को रात्रि पाली में काम करने की अनुमति देने के लिए कानूनों में आवश्यक बदलाव करने का निर्देश दिया है, लेकिन केवल उनकी सहमति से। दिल्ली में अब महिलाएं भी रात में ड्यूटी कर सकेंगी। दिल्ली सरकार ने महिलाओं को नाइट शिफ्ट में काम करने की इजाजत दे दी है। सरकार की तरफ से कहा गया है कि महिलाओं को नाइट शिफ्ट (24x7) में कार्य करने की अनुमति देने का निर्णय लिया है। इसके लिए सख्त प्रावधान किए गए हैं।  अधिकारियों ने बताया कि पिछली दिल्ली सरकार ने कारखाना अधिनियम, 1948 की धारा 66(1)(बी) को समाप्त करने को मंज़ूरी दी थी। इस धारा में कहा गया था कि किसी भी महिला को सुबह 6 बजे से शाम 7 बजे के बीच के समय के अलावा किसी भी कारखाने में काम करने की आवश्यकता या अनुमति नहीं होगी। सरकार ने दिल्ली व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य स्थिति नियम, 2023 के मसौदे को भी मंजूरी दी, जो महिलाओं को रात्रि पाली में काम करने की अनुमति देता है।
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बिहार के SIR मामले पर बोला सुप्रीम कोर्ट, 'अगर वोटर लिस्ट से बड़े पैमाने पर नाम बाहर किए गए, तो हम तुरंत करेंगे हस्तक्षेप'

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग के वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी ने कहा कि आपत्तियों पर विचार करने के बाद ही वोटर लिस्ट की असली तस्वीर सामने आएगी कि किसे बाहर रखा गया है। बिहार SIR मामले पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और गोपाल शंकरनारायणन एवं वकील प्रशांत भूषण याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए। सिब्बल ने कहा कि हमने तय कर लिया है कौन कितना वक्त दलील देगा, समय-सारणी पेश कर दी है। 15 लोगों को ये कहते हुए लाओ कि जो जीवित हैं- कोर्ट सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर बिहार की वोटर लिस्ट से बड़े पैमाने पर नाम बाहर किए गए हैं, तो हम तुरंत हस्तक्षेप करेंगे। 15 लोगों को यह कहते हुए लाओ कि वे जीवित हैं। चुनाव आयोग ने कहा कि लोगों को आपत्ति करने का अधिकार है। 30 दिन का समय दिया गया है, इन लोगों को नाम जुड़वाने में मदद करनी चाहिए। 65 लाख लोग कौन हैं- सिब्बल सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राजनीतिक दलों को इस समय गैर सरकारी संगठनों की तरह काम करना चाहिए। सिब्बल ने कहा कि वे जानते हैं कि ये 65 लाख लोग कौन हैं? प्रंशात भूषण ने कहा कि चुनाव आयोग ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि ये 65 लाख या तो मर चुके हैं या स्थायी रूप से स्थानांतरित हो गए हैं। सिब्बल ने कहा कि अगर वे मसौदा सूची में नामों का उल्लेख करते हैं, तो हमें कोई समस्या नहीं है। 3 घंटे दिया जाएगा बहस का समय सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर मसौदा सूची में स्पष्ट रूप से कुछ नहीं लिखा है, तो आप हमें बताएं। जस्टिस सूर्यकांत ने याचिकाकर्ताओं के वकीलों द्वारा दी गई बहस की समय-सारिणी को पढ़ा। उन्होंने कहा बहस के लिए हम 3 घंटे का समय देंगे। सिब्बल ने कहा कि कृपया हमारे बहस लिए एक पूरा दिन और चुनाव आयोग के लिए एक दिन का समय दें। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि वकीलों द्वारा बार-बार दोहराने की कोई ज़रूरत नहीं है। मसौदा सूची का दिया जा चुका है विज्ञापन- चुनाव आयोग कोर्ट में सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग ने कहा कि मसौदा सूची का विज्ञापन दिया जा चुका है, राजनीतिक दलों को दिया जा चुका है। जस्टिस कांत ने कहा कि जैसे ही वे अधिसूचना से हटेंगे, हम निश्चित रूप से हस्तक्षेप करेंगे। भूषण ने कहा कि वे कह रहे हैं कि 65 लाख लोगों में से अधिकांश की मृत्यु हो गई है या वे विस्थापित हैं। चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था- जस्टिस कांत सिब्बल ने कहा कि हमें नहीं पता कि कौन बचा है। क्या चुनाव आयोग ने नाम दिए हैं? जस्टिस कांत ने कहा कि चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था है, हम मानेंगे कि उनकी कार्रवाई कानून के अनुसार होगी। हम यहां हैं, हम मामले की सुनवाई करेंगे। 65 लाख लोगों ने फॉर्म नहीं जमा किए- वकील भूषण भूषण ने कहा कि 65 लाख लोगों ने फॉर्म जमा नहीं किए हैं। वे (चुनाव आयोग) कहते हैं कि वे मर चुके हैं या कहीं और चले गए हैं। जो लोग ड्राफ्ट सूची में नहीं हैं, वे खुद को कैसे शामिल करवाएँगे? उन्हें नए सिरे से आवेदन करना होगा। उन्हें कैसे पता चलेगा कि उनका नाम ड्राफ्ट सूची में नहीं है? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर, यह सूची नहीं थी, तो जनवरी 2025 की सूची ही शुरुआती बिंदु है। मसौदा सूची चुनाव आयोग द्वारा प्रकाशित की जाएगी आपकी आशंका है कि लगभग 65 लाख मतदाता सूची में शामिल नहीं होंगे चुनाव आयोग 2025 की प्रविष्टि के संबंध में सुधार की मांग कर रहा है। हम एक न्यायिक प्राधिकरण के रूप में इस मामले की समीक्षा कर रहे हैं। 
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बिहार में चुनाव आयोग के SIR को लेकर बोला सुप्रीम कोर्ट, 'धरती पर किसी भी दस्तावेज को बनाया जा सकता है जाली'

बिहार में चुनाव से पहले वोटर लिस्ट में पुनरीक्षण का काम चल रहा है। मतदाता सूची पुनरीक्षण को लेकर कई विपक्षी पार्टियों ने विरोध जताया है। इस पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई है। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को बिहार में चल रहे मतदाता सूची पुनरीक्षण में आधार और मतदाता पहचान पत्र (EPIC) को वैध दस्तावेज के रूप में स्वीकार करने में निर्वाचन आयोग की अनिच्छा पर सवाल उठाया है। कोर्ट ने कहा कि कोई भी दस्तावेज जाली हो सकता है। कोर्ट ने व्यक्त की चिंता न्यायमूर्ति सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने चुनाव आयोग के बहिष्कारपूर्ण दृष्टिकोण पर चिंता व्यक्त की है। साथ ही कोर्ट की पीठ ने सत्यापन प्रक्रिया में दोनों दस्तावेजों को शामिल करने की आवश्यकता पर बल दिया है। कोर्ट ने चुनाव आयोग पर डाला दबाव  न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा, 'धरती पर किसी भी दस्तावेज को जाली बनाया जा सकता है।' उन्होंने चुनाव आयोग पर यह स्पष्ट करने का दबाव डाला कि आधार और ईपीआईसी को पूरी तरह से स्वीकार क्यों नहीं किया जा रहा है , जबकि पंजीकरण फॉर्म में आधार पहले से ही मांगा जा रहा है। जानिए कोर्ट में चुनाव आयोग ने क्या दिया तर्क? आज हुई सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग ने तर्क दिया कि आधार नागरिकता का प्रमाण नहीं है। कोर्ट ने फर्जी राशन कार्डों के बारे में चिंता जताई। साथ ही कहा कि बड़े पैमाने पर जालसाजी के कारण उन पर भरोसा करना मुश्किल हो गया है। हालांकि, आयोग ने माना कि आधार को पहचान के प्रमाण के रूप में प्रस्तुत किया जा सकता है। पंजीकरण फॉर्म में इसकी संख्या पहले से ही मांगी गई है। जाली दस्तावेज रोकने की व्यवस्था कहां, कोर्ट ने उठाया सवाल सुप्रीम कोर्ट ने इस पर सवाल उठाते हुए कहा कि यदि चुनाव आयोग की अपनी सूची में कोई भी दस्तावेज निर्णायक नहीं है, तो यही तर्क आधार और ईपीआईसी पर भी लागू हो सकता है। पीठ ने पूछा, 'अगर कल को आपके द्वारा स्वीकार किए गए अन्य दस दस्तावेज भी जाली पाए गए, तो इसे रोकने की व्यवस्था कहां है? बड़े पैमाने पर लोगों को शामिल करने की बजाय बड़े पैमाने पर लोगों को बाहर क्यों रखा जा रहा है?' कोर्ट ने यह भी अनुरोध किया कि यदि किसी को सूची से बाहर रखा जाता है तो प्रक्रिया के लिए समयसीमा निर्धारित की जाए।
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OBC लिस्ट पर ममता सरकार को राहत, हाईकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक

सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी लिस्ट नोटिफिकेशन मामले में कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है. इससे ममता बनर्जी सरकार को राहत मिली है. पश्चिम बंगाल सरकार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. बंगाल की ममता बनर्जी सरकार द्वारा जारी नई ओबीसी लिस्ट के नोटिफिकेशन पर कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाई गई है. सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाई है. सुप्रीम कोर्ट दो हफ्ते बाद इस पर सुनवाई करेगा. CJI ने कहा कि, यह आश्चर्यजनक है! हाईकोर्ट  इस तरह कैसे रोक लगा सकता है? ⁠रिजर्वेशन का मामला कार्यपालिका के काम का हिस्सा है.पश्चिम बंगाल सरकार की तरफ से वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि 9 लाख सीटें खाली है ,टीचरों की भी भर्ती होनी है.. इसलिए हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाई जानी चाहिए.पिछले दिनों कलकत्ता HC ने  राज्य सरकार के इस नोटिफिकेशन पर रोक लगा दी थी. राज्य सरकार ने नई लिस्ट के मुताबिक ओबीसी ए और ओबीसी बी कैटेगरी के तहत 140 उपजातियों को शामिल किया था.
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दिल्ली पुलिस की महिला SI समेत 4 पुलिसकर्मी हुए गिरफ्तार

पुलिस का कहना है कि महिला सब इंस्पेक्टर छुट्टी पर थी और उसने तीन अन्य पुलिसकर्मियों के साथ मिलकर डॉक्टर से मारपीट की और उनसे पैसे लिए। दिल्ली पुलिस की महिला एसआई सहित चार पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार किया गया है। महिला सब इंस्पेक्टर पर आरोप है कि उसने डॉक्टर के साथ मारपीट करके 20 लाख रुपए वसूले हैं। इस खबर के सामने आने के बाद दिल्ली पुलिस पर सवाल खड़े हो रहे हैं। क्या है पूरा मामला? पुलिस के मुताबिक, महिला सब इंस्पेक्टर छुट्टी पर थी और उसने तीन अन्य पुलिसकर्मियों के साथ मिलकर डॉक्टर से मारपीट की और उनसे पैसे लिए। महिला ने कहा कि अगर पैसे नहीं दोगे तो पेपर लीक करने के फर्जी मुकदमे में फंसा देंगे। मामले की सूचना सीनियर अधिकारियों को मिलने के बाद तुरंत पश्चिम विहार (ईस्ट) थाने में इस बाबत एफआईआर दर्ज की गई है और महिला सब इंस्पेक्टर सहित चार पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार कर लिया गया है। हालही में दिल्ली पुलिस की एक महिला SI ने की थी सुसाइड हालही में एक खबर ये भी सामने आई थी कि दिल्ली पुलिस की एक महिला सब इंस्पेक्टर ने पंखे से फांसी लगाकर सुसाइड की थी। महिला की उम्र महज 29 साल थी और उसकी पहचान सविता के रूप में हुई थी। वह अमन विहार थाने में तैनात थी और झज्जर हरियाणा की रहने वाली थी। इस समय वह रोहिणी सेक्टर 11 में रहती थी। पुलिस ने बताया, "25 जुलाई को सेक्टर-11 रोहिणी क्षेत्र में एक महिला द्वारा फांसी लगाकर आत्महत्या करने की सूचना प्राप्त हुई। फांसी लगाने वाली महिला की पहचान सविता पुत्री प्रताप सिंह निवासी जी-3/51, तीसरी मंजिल, सेक्टर-11 रोहिणी, दिल्ली के रूप में हुई है। उसकी उम्र 29 वर्ष थी और वह गांव छारा, जिला झज्जर, हरियाणा की मूल निवासी थी। उसके भाई ने जाली तोड़कर गेट खोला और उसका शव पंखे से उतारा। मृतका थाना अमन विहार, जिला रोहिणी में उपनिरीक्षक के पद पर कार्यरत थी और 2021 बैच की थी। मामले की जांच जारी है।"
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1 अगस्त से 'दिल्ली को कूड़े से आजादी- स्वच्छता अभियान' की शुरुआत

सीएम रेखा गुप्ता ने दिल्ली के लोगों से अपील की है कि वे इस अभियान में शामिल होकर दिल्ली को कूड़े से आजाद तो करें ही, साथ ही प्रधानमंत्री मोदी जी के इन विचारों को भी बल दें कि हर नागरिक जब अपने कर्तव्य को समझेगा, तभी देश स्वच्छ बनेगा. मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने घोषणा की है कि देश की आजादी की वर्षगांठ के अवसर पर दिल्ली सरकार “दिल्ली को कूड़े से आजादी- स्वच्छता अभियान” की शुरुआत करने जा रही है. यह विशेष अभियान 1 से 31 अगस्त तक चलेगा. मुख्यमंत्री ने दिल्लीवासियों से अपील की है कि वे इस अभियान में शामिल होकर दिल्ली को स्वच्छ व साफ-सुथरा बनाएं। इस अभियान को सघन रूप से चलाने के लिए दिल्ली सरकार के सभी विभाग अपनी भागीदारी निभाएंगे. अभियान को सफल बनाने के लिए आरडब्ल्यूए, मार्केट एसोसिएशन, स्कूली व कॉलेज के बच्चों व अन्य संस्थानों को शामिल किया जाएगा. अभियान में जन-भागीदारी को और पुख्ता करने के लिए एक पोर्टल भी शुरू किया जा रहा है. “दिल्ली को कूड़े से आजादी- स्वच्छता अभियान” को सफल बनाने के लिए मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने आज एक उच्चस्तरीय बैठक आयोजित की, जिसमें इस अभियान की गहन समीक्षा की गई. बैठक में शहरी विकास व शिक्षा मंत्री आशीष सूद, मुख्य सचिव धमेंद्र सहित शहरी विकास विभाग, पीडब्ल्यूडी, दिल्ली नगर निगम, एनडीएमसी, दिल्ली मेट्रो रेल निगम सहित अधिकतर विभागों के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे. मुख्यमंत्री ने जानकारी दी कि अगस्त माह देश की आजादी के लिए जाना जाता है. हमारी सरकार ने भी निर्णय लिया है कि इस माह “दिल्ली को कूड़े से आजादी” दिलाई जाए. अभियान में जनभागीदारी के अलावा विभिन्न विभागों की सहभागिता के समन्वय को इतना शानदार तरीके से चलाया जाएगा कि लोग वाकई कहें कि अगस्त माह में दिल्ली को ‘कूड़े से आजादी' मिल गई. मुख्यमंत्री ने कहा है कि इस अभियान में आम लोगों के अलावा रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (आरडब्ल्यूए), मार्केट एसोसिएशन, मंदिर समितियों, स्कूलों व कॉलेजों के छात्रों के अलावा सभी वर्गों को शामिल करने के लिए विशेष उपाय किए जाएंगे और इस तरह के विशेष प्रयास किए जाएंगे कि पूरी दिल्ली कूड़े से आजादी- स्वच्छता अभियान” को अपना अभियान मानकर चले. उन्होंने बताया कि इस अभियान के दौरान स्कूलों, सरकारी कार्यालयों, अस्पतालों पर विशेष फोकस किया जाएगा और वहां के स्टोर रूम्स में सालों से पड़े कबाड़ व उपयोग न होने वाले सामान के निपटान के लिए विशेष उपाय किए जाएंगे, इस अभियान को सब्जी व फल मंडियों, औद्योगिक क्षेत्रों, बस अड्डों, बस डिपो में भी चलाया जाएगा. अभियान में दिल्ली सरकार के सभी मंत्री, विधायक, दिल्ली के सांसद, निगम पार्षद भी शामिल होंगे और लोगों की भागीदारी बढ़ाने के लिए विशेष अभियान चलाएंगे. मुख्यमंत्री ने जानकारी दी अगस्त माह के शनिवार व रविवार को कूड़े से आजादी- स्वच्छता अभियान” के तहत विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे. मुख्यमंत्री के अनुसार इस अभियान का विभिन्न प्रचार माध्यमों से प्रचार-प्रसार तो किया ही जाएगा साथ ही एक विशेष पोर्टल भी शुरू किया जाएगा. इस पोर्टल में दिल्ली के लोग किसी भी स्थल की सफाई से पहले और सफाई के बाद फोटो भेजकर अपनी भागीदारी की सूचना दे सकते हैं. मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि इस अभियान के अंतर्गत स्लम क्षेत्रों, अनधिकृत कॉलोनियों, झुग्गी कॉलोनियों आदि में विशेष फोकस किया जाएगा. इस बात की भी पूरी रिपोर्ट ली जाएगी कि अभियान के तहत पूरी दिल्ली में सामान्य दिनों से अधिक कूड़े का निस्तारण किया जाए. उन्होंने दिल्ली के लोगों से अपील की है कि वे इस अभियान में शामिल होकर दिल्ली को कूड़े से आजाद तो करें ही, साथ ही प्रधानमंत्री मोदी जी के इन विचारों को भी बल दें कि हर नागरिक जब अपने कर्तव्य को समझेगा, तभी देश स्वच्छ बनेगा. स्वच्छता अभियान एक सरकारी योजना नहीं, बल्कि हर नागरिक कर्तव्य है. उन्होंने बताया कि इस अभियान की रूपरेखा के लिए 29 जुलाई को निगम मुख्यालय सिविक सेंटर में एक बड़ी मीटिंग की जाएगी, जिसमें दिल्ली सरकार के मंत्री, सांसद, पार्षद के अलावा विभिन्न एसोसिएशन के पदाधिकारियों की जिम्मेदारी भी तय की जाएगी. इस अवसर पर शहरी विकास व शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने कहा कि “दिल्ली को कूड़े से आजादी- स्वच्छता अभियान” के जरिए हम पूरे देश को स्वच्छता का संदेश देंगे कि दिल्ली के लोग भी ऐसे अभियानों में गंभीरता दिखाने लगे हैं. स्कूल व कॉलेज के विद्यार्थी इस अभियान में शामिल होकर पूरी दिल्ली को जागृत करेंगे और निश्चित करेंगे कि पूरी दिल्ली इसमें अपना सहयोग करें. उन्होंने कहा कि जो लोग सरकारी पोर्टल में अपनी फोटो आदि डालेंगे, उन्हें पुरस्कृत करने पर भी विचार किया जाएगा.
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देशभर के स्कूलों, कॉलेजों और कोचिंग सेंटरों में छात्रों की खुदुकशी का मामले में SC ने जारी की गाइडलाइंस

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को निजी कोचिंग सेंटरों और पूरे भारत के सभी शैक्षणिक संस्थानों के लिए मानसिक स्वास्थ्य सुरक्षा उपायों, अनिवार्य काउंसलिंग , शिकायत निवारण तंत्र और नियामक ढांचों को अनिवार्य बनाने हेतु व्यापक, राष्ट्रव्यापी दिशानिर्देश जारी किए हैं. देशभर के स्कूलों, कॉलेजों और कोचिंग सेंटरों में छात्रों की खुदुकशी के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा आदेश दिया है. छात्रों की मानसिक स्वास्थ्य सुरक्षा उपायों के आदेश दिए गए हैं. इसे लेकर गाइडलाइन  जारी की गई हैं.- आंध्र में  NEET अभ्यर्थी की मौत की सीबीआई जांच के निर्देश दिए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को निजी कोचिंग सेंटरों और पूरे भारत के सभी शैक्षणिक संस्थानों के लिए मानसिक स्वास्थ्य सुरक्षा उपायों, अनिवार्य काउंसलिंग , शिकायत निवारण तंत्र और नियामक ढांचों को अनिवार्य बनाने हेतु व्यापक, राष्ट्रव्यापी दिशानिर्देश जारी किए हैं. निजी कोचिंग सेंटरों से लेकर स्कूलों, कॉलेजों, विश्वविद्यालयों, प्रशिक्षण अकादमियों और छात्रावासों में छात्रों की आत्महत्याओं  को लेकर ये फैसला आया है.  जस्टिस विक्रमनाथ और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने कहा कि यह स्थिति एक "प्रणालीगत विफलता है जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता" और छात्रों को मनोवैज्ञानिक संकट, शैक्षणिक बोझ और संस्थागत असंवेदनशीलता से बचाने के लिए तत्काल संस्थागत सुरक्षा उपायों को अनिवार्य किया. फैसले में कहा गया कि संकट की गंभीरता को देखते हुए संवैधानिक हस्तक्षेप आवश्यक है, क्योंकि इसमें मौलिक अधिकारों को लागू करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग किया गया है और अनुच्छेद 141 के तहत दिए गए अपने निर्णय को देश का कानून माना गया है. पीठ ने घोषणा की कि उसके दिशानिर्देश तब तक लागू रहेंगे जब तक संसद या राज्य विधानसभाएं एक उपयुक्त नियामक ढांचा लागू नहीं कर देती. ये निर्देश छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं पर राष्ट्रीय कार्यबल के चल रहे कार्यों के पूरक और समर्थन के लिए तैयार किए गए हैं, जिसका गठन पिछले साल सेवानिवृत्त सर्वोच्च न्यायालय के जज न्यायमूर्ति रवींद्र भट की अध्यक्षता में किया गया था. यह निर्णय एक ऐसे मामले में आया है, जो 17 वर्षीय NEET अभ्यर्थी, की दुखद और अप्राकृतिक मृत्यु से उत्पन्न हुआ था, जो आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम स्थित आकाश बायजू संस्थान में मेडिकल प्रवेश परीक्षा की तैयारी कर रही थी. 14 जुलाई, 2023 को जब यह घटना घटी, तब लड़की एक छात्रावास में रह रही थी. उसके पिता ने स्थानीय पुलिस से जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपने की मांग की थी, लेकिन आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय ने 14 फरवरी, 2024 के एक आदेश द्वारा उनकी याचिका खारिज कर दी थी. इस आदेश को चुनौती देते हुए पिता ने सर्वोच्च न्यायालय का रुख किया, जिसने अब सीबीआई को लड़की की मौत से जुड़ी परिस्थितियों की जांच अपने हाथ में लेने का आदेश दिया है. पीठ ने कहा कि यह मामला केवल एक व्यक्तिगत मामले का नहीं है, बल्कि भारत के शैक्षिक पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित करने वाली एक गहरी, संरचनात्मक अस्वस्थता का प्रतीक है. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आधिकारिक आंकड़ों का हवाला देते हुए, पीठ ने "बढ़ती छात्र आत्महत्याओं के चिंताजनक पैटर्न" का उल्लेख किया और कहा कि मनोवैज्ञानिक संकट, कलंक और संस्थागत उपेक्षा जैसे रोके जा सकने वाले कारणों से युवाओं की लगातार हो रही जान ने न्यायपालिका के लिए हस्तक्षेप करना अनिवार्य कर दिया है हालांकि केंद्र ने पहले ही स्कूलों के लिए UMMEED मसौदा दिशानिर्देश, मनोदर्पण मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम और राष्ट्रीय आत्महत्या रोकथाम रणनीति जैसी कई पहल शुरू कर दी हैं, फिर भी पीठ ने कहा कि एक अंतरिम लागू करने योग्य ढांचे की तत्काल आवश्यकता है. निर्णय में जारी प्रमुख निर्देशों में यह आवश्यकता शामिल है कि सभी शैक्षणिक संस्थान UMMEED, मनोदर्पण और आत्महत्या रोकथाम दिशानिर्देशों के आधार पर एक समान मानसिक स्वास्थ्य नीति अपनाएं और यह नीति सार्वजनिक रूप से उपलब्ध हो और सालाना अद्यतन की जाए. 100 से अधिक छात्रों वाले संस्थानों को कम से कम एक योग्य मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर, जैसे मनोवैज्ञानिक, परामर्शदाता या सामाजिक कार्यकर्ता की नियुक्ति करनी होगी. यहां तक कि छोटे संस्थानों को भी बाहरी मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों के साथ औपचारिक रेफरल संपर्क स्थापित करने के लिए कहा गया है. समय पर और निरंतर सहायता सुनिश्चित करने के लिए छात्रों के छोटे समूहों को विशेष रूप से परीक्षा अवधि और संक्रमण काल के दौरान सलाहकार या परामर्शदाता नियुक्त किए जाने चाहिए. न्यायालय ने कोचिंग संस्थानों पर भी विशिष्ट दायित्व लागू किए हैं, जो हाल के वर्षों में मानसिक स्वास्थ्य संबंधी बहस के केंद्र में रहे हैं. इसने निर्देश दिया कि शैक्षणिक प्रदर्शन के आधार पर समूहों में विभाजन, सार्वजनिक रूप से बदनामी और अवास्तविक शैक्षणिक लक्ष्य निर्धारित करने को हतोत्साहित किया जाना चाहिए. टेली-मानस और अन्य आत्महत्या रोकथाम सेवाओं जैसे हेल्पलाइन नंबर छात्रावासों, कक्षाओं और सार्वजनिक स्थानों पर स्पष्ट रूप से प्रदर्शित किए जाने चाहिए. सभी संस्थानों में शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों को चेतावनी संकेतों की पहचान करने, मनोवैज्ञानिक प्राथमिक चिकित्सा और रेफरल प्रोटोकॉल में वर्ष में कम से कम दो बार अनिवार्य प्रशिक्षण प्राप्त करना होगा. संस्थानों को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि उनके कर्मचारियों को कमजोर या हाशिए पर रहने वाले पृष्ठभूमि के छात्रों, जिनमें अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग, एलजीबीटीक्यू+ समुदाय, विकलांग छात्र और वे छात्र शामिल हैं, जिन्होंने आघात या शोक का अनुभव किया है, के साथ संवेदनशील रूप से जुड़ने के लिए प्रशिक्षित किया जाए. महत्वपूर्ण बात ये है कि यह निर्णय सभी संस्थानों को जाति, लिंग, दिव्यांगता, धर्म या यौन अभिविन्यास के आधार पर यौन उत्पीड़न, रैगिंग और उत्पीड़न की रिपोर्टिंग और उससे निपटने के लिए गोपनीय तंत्र स्थापित करने का निर्देश देता है. इन तंत्रों में मनोवैज्ञानिक-सामाजिक सहायता तक तत्काल पहुंच शामिल होनी चाहिए और संस्थानों को चेतावनी दी गई है कि त्वरित कार्रवाई न करने पर खासकर उन मामलों में जो आत्म-क्षति या आत्महत्या की ओर ले जाते हैं, "संस्थागत दोष" माना जाएगा, जिसके कानूनी और नियामक परिणाम होंगे. पीठ ने आगे निर्देश दिया कि माता-पिता और अभिभावक नियमित संवेदीकरण सत्रों के माध्यम से मानसिक स्वास्थ्य ढांचे में सक्रिय रूप से शामिल हों. इन सत्रों का उद्देश्य अनुचित शैक्षणिक दबाव को कम करना और घर पर एक सहायक वातावरण को बढ़ावा देना है. संस्थानों से मानसिक स्वास्थ्य साक्षरता और जीवन कौशल को अभिविन्यास कार्यक्रमों और पाठ्येतर गतिविधियों में एकीकृत करने के लिए भी कहा गया है.  प्रतिस्पर्धी शिक्षा को परिभाषित करने वाले तीव्र शैक्षणिक दबाव को कम करने के प्रयास में, न्यायालय ने आदेश दिया कि संस्थान पाठ्येतर विकास को प्राथमिकता दें, समय-समय पर परीक्षा प्रारूपों की समीक्षा करें और रैंक और परीक्षा स्कोर से परे छात्र की सफलता की परिभाषा को व्यापक बनाएं. करियर परामर्श को भी अनिवार्य कर दिया गया है. न्यायालय ने कहा कि सभी संस्थानों को छात्रों और उनके अभिभावकों, दोनों को संरचित, समावेशी और सूचित परामर्श सेवाएं प्रदान करनी चाहिए ताकि छात्र रुचि-आधारित विकल्प चुन सकें. छात्रावासों सहित आवासीय सुविधाएं प्रदान करने वाले संस्थानों के लिए न्यायालय ने आत्मक्षति के आवेगपूर्ण कृत्यों को रोकने हेतु, शारीरिक सुरक्षा उपायों को बढ़ाने का आदेश दिया जैसे कि छेड़छाड़-रोधी छत वाले पंखे और छतों तक सीमित पहुंच. कोटा, जयपुर, सीकर, चेन्नई, हैदराबाद, दिल्ली और मुंबई जैसे कोचिंग केंद्रों जहां प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए बड़ी संख्या में छात्र आते हैं को निवारक और परामर्श संबंधी बुनियादी ढांचे को मज़बूत करने के लिए चुना गया. इन दिशानिर्देशों के अलावा पीठ ने सरकारों और प्राधिकारियों को कई बाध्यकारी निर्देश जारी किए. इसने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को दो महीने के भीतर पंजीकरण अनिवार्य करने, छात्र सुरक्षा मानदंडों को लागू करने और निजी कोचिंग केंद्रों के लिए शिकायत निवारण प्रणाली स्थापित करने के लिए नियम अधिसूचित करने का निर्देश दिया. कार्यान्वयन की निगरानी, निरीक्षण करने और शिकायतें प्राप्त करने के लिए जिला मजिस्ट्रेटों की अध्यक्षता में जिला-स्तरीय निगरानी समितियां स्थापित की जाएंगी.केंद्र सरकार को इन निर्देशों को लागू करने के लिए उठाए गए कदमों, कोचिंग केंद्रों के लिए नियामक नियम-निर्माण की स्थिति और राज्य सरकारों के साथ स्थापित समन्वय तंत्र का विवरण देते हुए अनुपालन हलफनामा दाखिल करने के लिए 90 दिनों का समय दिया गया है. हलफनामे में राष्ट्रीय कार्यबल की अंतिम रिपोर्ट के लिए समय-सीमा भी बताई जानी चाहिए. तत्काल और व्यापक प्रसार सुनिश्चित करने के लिए, न्यायालय ने आवश्यक कार्रवाई हेतु शिक्षा मंत्रालय, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, विधि एवं न्याय मंत्रालय, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, एनसीईआरटी, सीबीएसई, एआईसीटीई और सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को निर्णय की एक प्रति प्रसारित करने का आदेश दिया.  एक विशिष्ट मामले में निष्पक्ष जांच के निर्देश के साथ तत्काल नियामक कार्रवाई को जोड़कर, पीठ ने एक कड़ा संदेश दिया है कि मानसिक स्वास्थ्य और छात्र सुरक्षा वैकल्पिक विचार नहीं हैं, बल्कि संवैधानिक दायित्व हैं जिन्हें प्रत्येक संस्थान को पूरा करना होगा.
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अनिल अंबानी से जुड़े ठिकानों पर ED का बड़ा सर्च ऑपरेशन, 35 जगहों पर हुई कार्रवाई

ED मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामले को लेकर ये छापेमारी कर रही है. बताया जा रहा है कि ये छापेमारी दिल्ली और मुंबई में की गई है. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने रिलायंस समूह के चेयरमैन अनिल अंबानी से जुड़े अलग-अलग ठिकानों पर छापेमारी की है. ये छापेमारी दिल्ली और मुंबई में की गई है. सूत्रों के अनुसार ईडी ने ये छापेमारी मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच को लेकर की है.  सूत्रों के अनुसार ईडी 35 जगहों पर तलाशी अभियान चला रही है. ईडी की प्रारंभिक जांच में "बैंकों, शेयरधारकों, निवेशकों और अन्य सार्वजनिक संस्थानों को धोखा देकर जनता के पैसे की हेराफेरी करने की एक सुनियोजित और सोची-समझी योजना" का खुलासा हुआ है. ईडी ने दिल्ली और मुंबई में कुल 35 ठिकानों पर छापेमारी की है. इस दौरान 50 कंपनियों की जांच की गई है. छापेमारी के दौरान 25 लोगों से पूछताछ किए जाने की बात सामने आ रही है.  बताया जा रहा है कि 2017 और 2019 के बीच, यस बैंक ने रिलायंस अनिल अंबानी समूह की RAAGA कंपनियों को लगभग 3,000 करोड़ रुपये का ऋण दिया. ईडी का दावा है कि उसने एक अवैध लेन-देन व्यवस्था का पता लगाया है जिसमें यस बैंक के प्रमोटरों ने कथित तौर पर लोन एक्सेप्ट करने से ठीक पहले अपनी निजी कंपनियों से पेमेंट लिया था.
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एयर इंडिया की हांगकांग-दिल्ली फ्लाइट में लैंडिंग के बाद एक हिस्से में लगी हल्की आग, सभी यात्री सुरक्षित

मंगलवार को हांगकांग से दिल्ली के इंदिरा गांधी हवाई अड्डे (आईजीआई) पर लैंड करते ही एयर इंडिया की फ्लाइट के पिछले हिस्से में आग लग गई. मंगलवार को हांगकांग से दिल्ली के इंदिरा गांधी हवाई अड्डे (आईजीआई) पर लैंड करते ही एयर इंडिया की फ्लाइट के पिछले हिस्से में आग लग गई. साथ ही सारे पैसेंजर्स और क्रू के सदस्य सुरक्षित उतर गए. एयर इंडिया की तरफ से इस पर आधिकारिक बयान जारी किया गया है. एयर इंडिया के अनुसार घटना डिसएंबार्किंग के दौरान हुई.   एयर इंडिया ने जारी किया बयान   इस बयान के अनुसार मंगलवार, 22 जुलाई को हांगकांग से दिल्ली आ रही फ्लाइट संख्‍या एआई 315 के गेट पर उतरने और खड़े होने के कुछ ही देर बाद उसमें ऑग्जिलरी पावर यूनिट (एपीयू) में आग लग गई. एयरलाइन के अनुसार यह घटना तब हुई जब यात्री उतरने लगे थे. सिस्टम डिजाइन के अनुसार APU अपने ऑटोमैटिकली बंद कर दिया गया. एयरक्राफ्ट को कुछ नुकसान हुआ है. एयरलाइन के अनुसार विमान को आगे की जांच के लिए रोक दिया गया है और नियामक को सूचित कर दिया गया है.  
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दिल्ली के चांदनी महल में US मेड पिस्टल के साथ हाशिम बाबा का शूटर गिरफ्तार

20 जुलाई की रात को पुलिस को पुख्ता सूचना मिली कि नदीम उर्फ कालिया चांदनी महल इलाके में हथियार लेकर घूम रहा है और किसी बड़ी वारदात की फिराक में है, रात करीब 10.50 पर उसे घेरकर गिरफ्तार कर लिया गया. दिल्ली पुलिस की सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट की स्पेशल स्टाफ टीम को एक बड़ी कामयाबी मिली है. एक खतरनाक और वांछित अपराधी नदीम उर्फ कालिया को चांदनी महल इलाके से गिरफ्तार किया गया है, पुलिस ने उसके पास से अमेरिका में बनी एक हाईटेक पिस्टल, दो देसी कट्टे, एक मैगज़ीन और कुल 14 कारतूस बरामद किए हैं. जाफराबाद का रहने वाला नदीम, दिल्ली के कुख्यात हैशिम बाबा गैंग का शूटर है. इससे पहले वो छेनू और नासिर गैंग का भी हिस्सा रह चुका है. उस पर दिल्ली, एनसीआर और यूपी में 13 से ज्यादा संगीन मामले दर्ज हैं, जिनमें हत्या, लूट, आर्म्स एक्ट और MCOCA जैसे गंभीर अपराध शामिल हैं. नदीम थाना जाफराबाद का घोषित हिस्ट्रीशीटर है. 20 जुलाई की रात को पुलिस को पुख्ता सूचना मिली कि नदीम उर्फ कालिया चांदनी महल इलाके में हथियार लेकर घूम रहा है और किसी बड़ी वारदात की फिराक में है. रात करीब 10:50 बजे स्पेशल स्टाफ की टीम ने गली तख़्त वाली, शिया मस्जिद के पास ट्रैप लगाकर उसे घेरा. जैसे ही पुलिस पहुंची, नदीम ने कमर से पिस्तौल निकालकर पुलिस पर तान दी और भागने की कोशिश की, लेकिन टीम ने बहादुरी दिखाते हुए बिना गोली चलने दिए उसे मौके पर ही पकड़ लिया जबकि आसपास भीड़ जमा हो गई थी. नदीम सबसे पहले 2005 में थाना वेलकम से गिरफ़्तार हुआ था. जेल में नासिर गैंग से मिला, अपराध की दुनिया में और गहरा उतर गया. 2017 में अतर अब्बास की हत्या में शामिल रहा, जेल से निकलने के बाद हथियारों की तस्करी, व्यापारियों से वसूली और गैंग के लिए काम करने लगा. फरवरी 2025 में जेल से रिहा होने के बाद फिर से अवैध हथियार यूपी और बिहार (मुंगेर) से लाने लगा. पूछताछ में उसने बताया कि हाल ही में कई बदमाशों को उसने हथियार सप्लाई किए हैं. पुलिस ने उसकी निशानदेही पर दो और देसी कट्टे और 10  कारतूस भी बरामद किए हैं.
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कांवड़ यात्रा नेमप्लेट विवाद सुप्रीम कोर्ट का QR कोड मुद्दे पर दखल देने से इनकार

सुप्रीम कोर्ट का आदेश, हमें बताया गया है कि आज यात्रा का अंतिम दिन है. बहरहाल, निकट भविष्य में इसके समाप्त होने की संभावना है. सुप्रीम कोर्ट ने QR कोड मुद्दे पर दखल देने से इनकार कर दिया है. राज्य सरकारों के QR कोड के खिलाफ अर्जी पर कोई भी आदेश जारी करने से इनकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दुकानदार लाइसेंस और पंजीकरण सर्टिफिकेट लगाएं. बाकी मुद्दों पर हम नहीं जाएंगे. सुप्रीम कोर्ट का आदेश, हमें बताया गया है कि आज यात्रा का अंतिम दिन है. बहरहाल, निकट भविष्य में इसके समाप्त होने की संभावना है. इसलिए इस समय हम केवल यह आदेश पारित करेंगे कि सभी संबंधित होटल मालिक वैधानिक आवश्यकताओं के अनुसार लाइसेंस और पंजीकरण प्रमाणपत्र प्रदर्शित करने के आदेश का पालन करें. हम स्पष्ट करते हैं कि हम अन्य विवादित मुद्दों पर विचार नहीं कर रहे हैं.
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CBSE ने स्कूलों में सीसीटीवी कैमरों को लेकर लिया ये बड़ा फैसला

सीबीएसई ने स्पष्ट किया है कि सभी संबद्ध स्कूलों को इस प्रावधान का कड़ाई से पालन करना होगा, ताकि छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके. छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने संवंधन उप-नियम 2018 (अध्याय 4 - भौतिक अवसंरचना) में संशोधन किया है. इस नए प्रावधान के तहत सभी संबद्ध स्कूलों को परिसर में हाई-रेज़ोल्यूशन सीसीटीवी कैमरे ऑडियो-विजुअल सुविधा के साथ लगाना अनिवार्य किया गया है. कहां-कहां लगेंगे सीसीटीवी कैमरे? स्कूल के सभी प्रवेश और निकास द्वार लॉबी और कॉरिडोर सीढ़ियां, सभी कक्षाएं, लैब, पुस्तकालय कैंटीन, स्टोर रूम, खेल का मैदान और अन्य साझा क्षेत्र (टॉयलेट और वॉशरूम को छोड़कर सभी क्षेत्रों में यह व्यवस्था लागू होगी) रिकॉर्डिंग और स्टोरेज की शर्तें प्रत्येक कैमरे में कम से कम 15 दिनों तक फुटेज स्टोर करने की क्षमता होनी चाहिए. साथ ही, 15 दिनों का बैकअप सुरक्षित रखना अनिवार्य है, जिसे आवश्यकता पड़ने पर संबंधित प्राधिकरणों को उपलब्ध कराया जा सके. सीबीएसई ने स्पष्ट किया है कि सभी संबद्ध स्कूलों को इस प्रावधान का कड़ाई से पालन करना होगा, ताकि छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके. सीबीएसई के सचिव हिमांशु गुप्ता ने कहा कि छात्रों की सुरक्षा स्कूल की सर्वोच्च जिम्मेदारियों में से एक है और यह सुनिश्चित करना है कि छात्रों को स्कूल में एक सुरक्षित और सुसंगत माहौल मिले. सुरक्षा के दो पहलू हैं- (क) असामाजिक तत्वों से सुरक्षा (ख) डराने/धमकाने और अन्य अंतर्निहित खतरों के संदर्भ में बच्चों की समग्र भलाई के लिए सुरक्षा. उन्होंने कहा कि सतर्क और संवेदनशील कर्मचारियों तथा नवीनतम तकनीक के इस्तेमाल से ऐसी सभी आशंकाओं को रोका जा सकता है. गुप्ता ने कहा कि स्कूल को स्कूल के सभी प्रवेश और निकास द्वारों, लॉबी, गलियारे, सीढ़ियों, सभी कक्षाओं, प्रयोगशालाओं, पुस्तकालय, कैंटीन क्षेत्र, स्टोर रूम, खेल के मैदान और शौचालयों तथा वॉशरूम को छोड़कर अन्य सामान्य क्षेत्रों में वास्तविक समय की ऑडियो-विजुअल रिकॉर्डिंग वाले उच्च रिजॉल्यूशन सीसीटीवी कैमरे लगाने चाहिए.
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