- Hindi News
- राज्य
- दिल्ली
Category दिल्ली
<% catList.forEach(function(cat){ %>
<%= cat.label %>
<% }); %>
<%- node_title %>
Published On
By <%= createdBy.user_fullname %>
<%- node_title %>
Published On
By <%= createdBy.user_fullname %>
<% if(node_description!==false) { %>
<%= node_description %>
<% } %>
<% catList.forEach(function(cat){ %>
<%= cat.label %>
<% }); %>
पुलिस ने कोर्ट में खोल दिया पूरा कच्चा-चिट्ठा
Published On
By khabarundekhi@gmail.com
पटियाला हाउस कोर्ट में सुनवाई के दौरान चैतन्यानंद के वकील ने आरोप लगाया कि पुलिस उनसे ठीक बर्ताव नहीं कर रही है. उनके भिक्षु वाले कपड़े छीन लिए हैं. परेशान किया जा रहा है.
दिल्ली में 17 छात्राओं के उत्पीड़न के आरोपी स्वयंभू बाबा चैतन्यानंद सरस्वती को पटियाला हाउस कोर्ट ने 5 दिन की पुलिस कस्टडी में भेज दिया है. सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस के एसीपी ने कोर्ट को बताया कि चैतन्यानंद लड़कियों के साथ न सिर्फ कालेज में छेड़छाड़ करता था बल्कि धमकाता था और अश्लील मैसेज भेजता था. उसने लड़कियों के बाथरूम में कई कैमरे लगवा रखे थे, जो चैतन्यानंद के मोबाइल फोन से कनेक्ट थे.
'छात्राओं को धमकाता था चैतन्यानंद'
दिल्ली पुलिस ने रविवार सुबह आगरा से गिरफ्तार किए गए 62 वर्षीय चैतन्यानंद को दोपहर करीब 3:40 बजे ड्यूटी मजिस्ट्रेट रवि के सामने पेश किया. बहस के दौरान प्रॉसिक्यूशन ने आरोप लगाया कि चैतन्यानंद ने कई छात्राओं से छेड़छाड़ की और उनसे यौन संबंध बनाने की मांग की. पीड़िताओं ने अपनी गवाही में आरोपों की पुष्टि की है.
अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया कि चैतन्यानंद लड़कियों को धमकियां देता था. उन पर नजर रखने के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाए थे. कई कैमरे बाथरूम में भी लगे थे. करीब 16 लड़कियों ने शिकायत की है. कई अन्य आरोपों की पुष्टि की जानी है, ऐसे में पुलिस कस्टडी जरूरी है.
बचाव में बाबा बोला, पुलिस परेशान कर रही
चैतन्यानंद के वकील ने हिरासत में पूछताछ की मांग का विरोध करते हुए कहा कि सभी 16-20 छात्राओं ने पहले ही अपने बयान दर्ज करा दिए हैं. उनके मुवक्किल के फोन, आईपैड और सामान भी ले लिया है. वह डायबीटीज से पीड़ित हैं और बेचैनी की समस्या है.
चैतन्यानंद के वकील ने आरोप लगाया कि पुलिस उनके साथ ठीक बर्ताव नहीं कर रही है. उनके भिक्षु वाले कपड़े छीन लिए हैं. ये सिर्फ परेशान करने के लिए पुलिस हिरासत चाहते हैं. अगर कोर्ट को लगता है कि (महिलाओं को) कोई खतरा है तो न्यायिक हिरासत में रखा जा सकता है. इस पर शिकायतकर्ता के वकील ने कहा कि पुलिस हिरासत की जरूरत है क्योंकि पीड़िताओं के बयान, डिजिटल व अन्य सबूतों से आरोपी का आमना-सामना कराना है.
जांच में सहयोग नहीं कर रहा बाबाः पुलिस
चैतन्यानंद से गवाहों को खतरे का दावा करते हुए वकील ने कहा कि एक गवाह ने पुलिस को बताया है कि उसे धमकी दी गई थी कि अगर उसने शिकायत करने की हिम्मत की तो उसे उठा लिया जाएगा. जांच अभी शुरुआती दौर में है. उसमें छेड़छाड़ का खतरा है. धोखाधड़ी पर एक और एफआईआर दर्ज की गई है, जिसमें अग्रिम जमानत खारिज कर हो चुकी है.
प्रॉसिक्यूशन की तरफ से कहा गया कि चैतन्यानंद दो महीने में पहली बार जांच में शामिल हुआ है. वह जांच में सहयोग नहीं कर रहा है. उसने अपने आईपैड और आईक्लाउड के पासवर्ड नहीं बताए हैं. सिर्फ जब्ती काफी नहीं है. बचाव पक्ष के वकील ने कहा कि उनके मुवक्किल के आचरण का पुलिस हिरासत की मांग से कोई लेना-देना नहीं है.
बैंक खाते, एफडी के करोड़ों रुपये जब्त
इससे पहले, पुलिस ने चैतन्यानंद के बैंक खातों और एफडी में जमा करोड़ों रुपये जब्त कर लिए थे. जांच से पता चला कि आरोपी ने अलग-अलग नामों और डिटेल्स से कई बैंक खाते खुलवा रखे थे. अपने खिलाफ एफआईआर दर्ज होने के बाद 50 लाख रुपये से अधिक निकाले थे. पुलिस को उसके पास से फर्जी विजिटिंग कार्ड भी मिले हैं, जिसमें उसका संयुक्त राष्ट्र और ब्रिक्स से जुड़ाव दिखाया गया था.
गैंगस्टर रोहित गोदारा ने DUSU के पूर्व अध्यक्ष से मांगी 5 करोड़ की फिरौती
Published On
By khabarundekhi@gmail.com
रौनक ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है कि अज्ञात नंबर से उसे कई बार कॉल भी किए गए और व्हाट्सएप पर रिपीट मैसेज भेजकर पांच करोड़ रुपये की मांग की गई.
दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष रौनक खत्री को व्हाट्सएप पर पांच करोड़ रुपये की फिरौती देने की धमकी मिलने का मामला प्रकाश में आया है. धमकी में कथित रूप से गैंगस्टर रोहित गोदारा का नाम लिया गया है और संदेश एक विदेशी नंबर से भेजा गया था.
रौनक ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है कि अज्ञात नंबर से उसे कई बार कॉल भी किए गए और व्हाट्सएप पर रिपीट मैसेज भेजकर पांच करोड़ रुपये की मांग की गई. धमकी भेजने वाले ने कथित तौर पर यह भी कहा कि मांग पूरी न होने पर गंभीर परिणाम भुगतने होंगे. शिकायत में आरोप लगाया गया है कि कॉल करने वाले ने बार-बार दबाव बनाया और संदिग्ध तरीक़े से रोहित गोदारा का नाम लिया गया.
पुलिस ने प्राथमिक जांच शुरू कर दी है. दिल्ली पुलिस के साइबर विंग और क्राइम ब्रांच को मामले की तफ्तीश सौंपी गई है. पुलिस सूत्रों के अनुसार जांचकर्ताओं का पहला मकसद है यह पता लगाना कि क्या धमकी वास्तव में रोहित गोदारा के किसी असली नेटवर्क की ओर से आई है, या बाहर से किसी ने गोदारा का नाम का इस्तेमाल कर उगाही की कोशिश की है.
जांच टीम व्हाट्सएप संदेशों और कॉल डिटेल्स का फोरेंसिक विश्लेषण करा रही है. पुलिस विदेशी नंबर की ट्रेडलाइनिंग करने की भी कोशिश कर रही है ताकि संदेश किस सर्विस या आईपी-वीओआईपी सेवा के माध्यम से भेजे गए, यह पता चल सके.
दिल्ली के 'डर्टी बाबा' चैतन्यानंद के 'गुप्तवास' का खुला राज
Published On
By khabarundekhi@gmail.com
गिरफ्तारी के बाद पूछताछ में चैतन्यानंद लगातार बेचैनी और घबराहट दिखा रहा है. वह बार-बार पुलिस को कहता रहा कि घबराहट हो रही है. मोबाइल फोन और डिजिटल सबूतों की जांच में भी वो सहयोग नहीं कर रहा है.
दिल्ली पुलिस की जांच में कथित 'डर्टी बाबा' चैतन्यानंद की फरारी के चौंकाने वाले राज सामने आए हैं. पुलिस सूत्रों के मुताबिक गिरफ्तारी से पहले बाबा लगातार ठिकाने बदलता रहा और संस्थान की गतिविधियों पर नज़र रखता रहा. उसने फरारी के दौरान करीब 15 सस्ते होटलों में डेरा डाला, जिनकी खासियत थी कि वहां सीसीटीवी कैमरे मौजूद नहीं थे. होटल की बुकिंग का काम उसके चेले और करीबी सहयोगी करते थे ताकि उसका नाम न आए. चैतन्यानंद साधुओं के बीच भी छिपता रहा और आम भीड़ में घुलने-मिलने की कोशिश करता रहा.
बिना सीसीटीवी वाले होटलों में रुकता था बाबा
जांच में सामने आया कि चैतन्यानंद ने फरारी के दौरान राजधानी और आसपास के करीब 15 सस्ते होटलों में डेरा डाला. वह हमेशा ऐसे होटल चुनता था जहां सीसीटीवी कैमरे न लगे हों. होटल बुकिंग का काम उसके चेले और सहयोगी करते थे ताकि उसका नाम सामने न आए. दिल्ली पुलिस अब इन मददगारों की तलाश में जुटी है, जिन्होंने बाबा को फरारी के दिनों में सहारा दिया.
साधुओं के बीच छिपता रहा चैतन्यानंद
पुलिस का कहना है कि फरारी के दौरान बाबा कई बार साधुओं के बीच जाकर छिपता रहा. वह आम भीड़ में घुलने-मिलने की कोशिश करता था ताकि पहचान में न आ सके.
पूछताछ में कर रहा है टालमटोल
गिरफ्तारी के बाद पूछताछ में चैतन्यानंद लगातार बेचैनी और घबराहट दिखा रहा है. वह बार-बार पुलिस को कहता रहा कि "घबराहट हो रही है". मोबाइल फोन और डिजिटल सबूतों की जांच में भी उसने सहयोग नहीं किया. बाबा लगातार पुलिस को यह कहकर टालता रहा कि उसे अपने फोन का पासवर्ड याद नहीं है.
बाबा को आश्रम लेकर पहुंची पुलिस
पुलिस आरोपी को उन जगहों पर ही लेकर सोमवार को पहुंची, जहां आरोपी छात्राओं को अपनी महंगी कारों में लेकर जाता था. पुलिस ने बाबा को उसके आश्रम में लेकर गई. पुलिस की कोशिश है कि इस मामले में बाबा के खिलाफ पुख्ता सबूत तैयार किया जाए.
डिजिटल सबूतों की जांच
पुलिस ने चैतन्यानंद के पास से मिले तीन मोबाइल फोन और एक iPad को जब्त कर लिया है. सभी डिवाइसों को FSL (फॉरेंसिक साइंस लैब) भेजा गया है, जहां से बाबा की गतिविधियों और संपर्कों की असल तस्वीर सामने आने की उम्मीद है.
बचाव में बाबा बोला, पुलिस परेशान कर रही
चैतन्यानंद के वकील ने हिरासत में पूछताछ की मांग का विरोध करते हुए कहा कि सभी 16-20 छात्राओं ने पहले ही अपने बयान दर्ज करा दिए हैं. उनके मुवक्किल के फोन, आईपैड और सामान भी ले लिया है. वह डायबीटीज से पीड़ित हैं और बेचैनी की समस्या है.
RSS की विजयादशमी रैली में CJI बीआर गवई की मां कमलाताई होंगी शामिल
Published On
By khabarundekhi@gmail.com
डॉ. कमलताई गवई, स्व. राज्यपाल रामकृष्ण गवई की पत्नी और CJI बी. आर. गवई की माता हैं. रामकृष्ण गवई कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे और उन्होंने नागपुर की दीक्षाभूमि पर डॉ. आंबेडकर स्मारक की स्थापना में अहम योगदान दिया.
अमरावती में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की 5 अक्टूबर रैली होनी है. इस बार के कार्यक्रम में भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बी. आर. गवई की माता डॉ. कमलताई गवई को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया है. पिछले कुछ समय से इस बात को लेकर तरह-तरह की खबरे सामने आ रही थी कि क्या वो इस कार्यक्रम में जाएगी या नहीं. हालांकि अब CJI के छोटे भाई और कमलताई गवई के छोटे बेटे राजेंद्र गवई ने इस बात की पुष्टि कर दी है कि वो अब इस कार्यक्रम में जाएंगी.
राजेंद्र गवई ने कहा कि उनकी माता डॉ. कमलताई गवई ने अमरावती में 5 अक्टूबर के कार्यक्रम के लिए आमंत्रण स्वीकार किया है, लेकिन वह मुख्य रैली में शामिल नहीं होंगी. उन्होंने स्पष्ट किया कि मुख्य फंक्शन 2 अक्टूबर को है जबकि अमरावती का कार्यक्रम अलग है. राजेंद्र ने बताया कि उनके पिता स्व. रामकृष्ण गवई समय-समय पर संघ के कार्यक्रमों में शामिल रहे और अन्य नेता जैसे बैरिस्टर राजाभाऊ खोब्रागड़े ने भी कभी संघ के कार्यक्रम अटेंड किए.
उन्होंने कहा कि व्यक्तिगत मित्रता और विचारधारा अलग होती है, उदाहरण देते हुए अटल बिहारी वाजपेयी और गवई साहब की निकटता का जिक्र किया और बताया कि वाजपेयी ने उनके सिद्धांतों का सम्मान किया था. राजेंद्र ने कहा कि दीक्षाभूमि के लिए आवश्यक धन उपलब्ध कराने को तैयार हैं और अंततः व्यक्तिगत नेतृत्व, विचारधारा व मित्रता अलग-अलग हैं.
क्या है पूरा मामला?
डॉ. कमलताई गवई, स्व. राज्यपाल रामकृष्ण गवई की पत्नी और CJI बी. आर. गवई की माता हैं. रामकृष्ण गवई कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे और उन्होंने नागपुर की दीक्षाभूमि पर डॉ. आंबेडकर स्मारक की स्थापना में अहम योगदान दिया. वे लंबे समय तक दीक्षाभूमि स्मारक समिति के अध्यक्ष भी रहे. यही वह स्थान है जहां 1956 में डॉ. आंबेडकर ने बौद्ध धर्म की दीक्षा ली थी.
दिलचस्प तथ्य यह है कि स्वयं रामकृष्ण गवई भी वर्ष 1981 में RSS के एक कार्यक्रम में मुख्य अतिथि रह चुके थे और स्वयंसेवकों को संबोधित कर चुके थे. इस ऐतिहासिक संदर्भ में कमलताई द्वारा आमंत्रण स्वीकार किया जाना विशेष महत्व रखता है.
सौरभ भारद्वाज ने 'पहलगाम' को लिख दिया 'पहलवान', भारत-PAK मैच से हुई करोड़ों की कमाई पर उठाए सवाल
Published On
By khabarundekhi@gmail.com
आम आदमी पार्टी के नेता सौरभ भारद्वाज ने भारत-पाकिस्तान क्रिकेट मैच से हुई कमाई को लेकर बड़ा दावा किया लेकिन उन्होंने इस बात को लेकर जो एक्स पर पोस्ट किया, उसमें 'पहलगाम' को 'पहलवान' लिख दिया।
आम आदमी पार्टी के नेता सौरभ भारद्वाज ने भारत-पाकिस्तान क्रिकेट मैच से हुई कमाई को लेकर बड़ा सवाल खड़ा किया है। उन्होंने अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर पोस्ट कर कहा, "सिर्फ भारत-पाकिस्तान मैचों से कुल कमाई 490 करोड़ से 630 करोड़ के बीच हुई। अगर पहलगाम हमले के पीड़ित परिवारों में वो पैसा बांटा जायेगा तो हर परिवार को 19-25 करोड़ मिलेगा। भाजपा सरकार देगी?"
हालांकि सवाल उठाते समय उन्होंने जो एक्स पर पोस्ट किया उसमें 'पहलगाम' को 'पहलवान' लिख दिया। अब सोशल मीडिया यूजर्स सौरभ को लेकर ये सवाल उठा रहे हैं कि इतने बड़े लीडर को ये भी नहीं पता कि पहलगाम में आतंकी हमला हुआ था, ना कि पहलवान में।
सौरभ भारद्वाज ने सूर्यकुमार यादव को किया था चैलेंज
इससे पहले सौरभ भारद्वाज ने क्रिकेटर और भारतीय कफ्तान सूर्यकुमार यादव को चैलेंज किया था और कहा था, "अगर तुम्हारी औकात है और तुम्हारे बीसीसीआई और आईसीसी की औकात है तो तुम्हें चुनौती देते हैं कि जितना पैसा तुमने ब्रॉडकास्टिंग राइट्स से कमाया है, एडवरटाइजर्स से कमाया है, और इस क्रिकेट के पूरे धंधे में कमाया है, वो शहीदों की विधवाओं, उन 26 औरतों को दे दो। हम भी मान लेंगे कि तुमने डेडिकेट किया है। हिम्मत और औकात नहीं है इनकी कि ऐसा कर सकें। कुछ भी बोल दोगे कि उसको डेडिकेट कर देंगे या इसको डेडिकेट कर देंगे। ये बहुत शर्म की बात है।"
एशियन चैंपियन बनते ही सूर्यकुमार ने सेना और पहलगाम पीड़ितों को दान की मैच फीस
भारतीय कप्तान सूर्यकुमार यादव ने दुबई में पाकिस्तान को हराकर एशिया कप 2025 का खिताब जीतने के बाद कहा कि वह टूर्नामेंट से मिली अपनी पूरी मैच फीस भारतीय सेना और पहलगाम पीड़ितों के परिवारों को दान करेंगे। सूर्या ने सोशल मीडिया पर लिखा, "इस टूर्नामेंट की अपनी मैच फीस हमारे सशस्त्र बलों और पहलगाम आतंकी हमले में पीड़ित परिवारों की मदद के लिए दान करने का फैसला किया है। आप हमेशा मेरी यादों में रहेंगे।"
सूर्य कुमार यादव के इस कदम को उनके जवाब के रूप में देखा जा रहा है। लोगों का कहना है कि सूर्यकुमार ने आप नेता सौरभ भारद्वाज को जवाब देने की कोशिश की है। हालांकि सूर्यकुमार के इस ऐलान के बाद अब सौरभ भारद्वाज ये सवाल उठा रहे हैं कि भारत-पाकिस्तान मैचों से हुई कुल कमाई को क्या बीजेपी सरकार पहलगाम हमले के पीड़ित परिवारों में बांटेगी? अब इस मामले को लेकर सियासत शुरू हो सकती है।
PM मोदी आज दिल्ली में BJP के नए ऑफिस का करेंगे उद्घाटन
Published On
By khabarundekhi@gmail.com
भाजपा की स्थापना के बाद, पहला कार्यालय अजमेरी गेट पर खोला गया था. बाद में यह कुछ समय तक रकाबगंज रोड पर और फिर लगभग 35 साल तक 14 पंडित पंत मार्ग पर चलता रहा. अब पार्टी की अपनी इमारत दीन दयाल उपाध्याय मार्ग पर है.
दिल्ली में पंडित दीन दयाल उपाध्याय मार्ग पर बीजेपी का एक और ऑफिस बनकर तैयार हो गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को पंडित दीन दयाल उपाध्याय मार्ग पर दिल्ली बीजेपी के नए ऑफिस का उद्घाटन करेंगे. यह उद्घाटन नवरात्रि के दौरान सप्तमी के शुभ अवसर पर किया जा रहा है. यह कार्यक्रम दिल्ली बीजेपी के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा, जिसमें पार्टी के शीर्ष नेता और हजारों कार्यकर्ता शामिल होने की उम्मीद है.
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता, पार्टी के वरिष्ठ नेता, केंद्रीय मंत्री, सांसद, विधायक, पार्षद और पार्टी के जमीनी स्तर के कार्यकर्ता उद्घाटन समारोह में मौजूद रहेंगे. दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने रविवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि प्रधानमंत्री मोदी पार्टी के नए कार्यालय का औपचारिक उद्घाटन करेंगे. उन्होंने इस अवसर को 'ऐतिहासिक' बताया और नई बिल्डिंग के निर्माण पूरा होने पर दिल्ली भाजपा के सभी कार्यकर्ताओं को बधाई दी.
दिल्ली में पार्टी के कार्यालयों की यात्रा को याद करते हुए सचदेवा ने कहा, 'भाजपा की स्थापना के बाद, पहला कार्यालय अजमेरी गेट पर खोला गया था. बाद में यह कुछ समय तक रकाबगंज रोड पर और फिर लगभग 35 साल तक 14 पंडित पंत मार्ग पर चलता रहा. अब पार्टी की अपनी इमारत दीन दयाल उपाध्याय मार्ग पर है. यह यात्रा चुनौतियों से भरी रही, लेकिन यह उल्लेखनीय भी रही.' उन्होंने कहा कि नई दिल्ली में भाजपा कार्यालय का शिलान्यास भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने 9 जून 2023 को किया था.
सचदेवा ने प्रधानमंत्री मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा को धन्यवाद देते हुए कहा कि उनकी दूरदर्शी नेतृत्व में ही संगठन ने देश की सभी राज्य की राजधानियों और जिलों में पार्टी कार्यालय बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया. इस मिशन के तहत, दिल्ली राज्य कार्यालय से संबंधित लंबे समय से लंबित भूमि विवाद का निपटारा हुआ और साथ ही निर्माण कार्य भी पूरा हो गया. उन्होंने आगे कहा कि दिल्ली के सभी 14 संगठनात्मक जिलों में अब अपने-अपने कार्यालय हैं, जो पार्टी की जमीनी स्तर पर संगठन को मजबूत करने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है.
दिल्ली-NCR में पटाखों पर पूरा बैन लगाना संभव नहीं... जानिए सुप्रीम कोर्ट ने क्यों कहा ऐसा
Published On
By khabarundekhi@gmail.com
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर पटाखा निर्माताओं को काम करने का अधिकार है तो नागरिकों को भी सांस लेने का अधिकार है.
सुप्रीम कोर्ट ने आज दिल्ली-एनसीआर में पटाखों पर बैन पर शीर्ष अदालत ने बड़ी टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा है कि पटाखों पर पूरा बैन लगाना संभव नहीं है. सर्वोच्च अदालत ने इस मामले में संतुलित दृष्टिकोण अपनाने की बात कही है. हालांकि कोर्ट ने कहा कि हमें माफिया से भी सावधान रहने की जरूरत है, जो बैन के बाद सक्रिय हो जाते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर पटाखा निर्माताओं को काम करने का अधिकार है तो नागरिकों को भी सांस लेने का अधिकार है.
कोर्ट ने मांगा अंडरटेंकिंग
चीफ जस्टिस बी आर गवई ने NEERI और PESO द्वारा ग्रीन पटाखों के लिए परमिट वाले निर्माताओं को पटाखों के निर्माण की इजाजत दे दी. हालांकि कोर्ट ने कहा कि वो अंडरटेकिंग दें कि अगली तारीख तक वे दिल्ली NCR क्षेत्र में कोई भी पटाखा नहीं बेचेंगे. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र ने स्पष्ट किया है कि पूर्ण प्रतिबंध के आदेश के बावजूद, प्रतिबंध लागू नहीं हो सका, जैसे बिहार राज्य में खनन पर प्रतिबंध तो था, लेकिन इससे अवैध खनन माफियाओं को बढ़ावा मिला इसलिए एक संतुलित दृष्टिकोण की आवश्यकता है.
सुनवाई के दौरान CJI बी आर गवई ने कहा कि अगर कोई पटाखा निर्माता नियमों का पालन करता है तो उन्हें पटाखों के निर्माण की अनुमति देने में क्या समस्या है? कोर्ट ने कहा कि इसका समाधान तो होना ही चाहिए. शीर्ष अदालत ने कहा कि अतिवादी आदेश समस्याएं पैदा करेंगे. कोर्ट ने साथ ही कहा कि इसके अलावा सोशल मीडिया पर हमें अपनी बातों में सावधानी बरतने की भी जरूरत है. मामले की अगली सुनवाई 8 अक्तूबर को होगी. कोर्ट ने कहा कि देशभर के मजदूर श्रमदान करते हैं, अगर मुआवजा देने का आदेश भी दिया जाता है तो ऐसी दलीलें दी जाती हैं कि मुआवजा नहीं दिया जाएगा. इसलिए उन्हें पटाखा बनाने दें और अगले आदेश तक NCR में बिक्री न होने दें.
तिहाड़ जेल से हटेगी अफजल गुरु की कब्र? दिल्ली HC ने दिया अहम फैसला
Published On
By khabarundekhi@gmail.com
‘विश्व वैदिक सनातन संघ’ और जितेंद्र सिंह नाम के व्यक्ति द्वारा दायर याचिका में दावा किया गया कि केंद्र सरकार द्वारा नियंत्रित जेल के अंदर इन कब्रों का निर्माण और उनका निरंतर अस्तित्व ‘अवैध, असंवैधानिक और जनहित के विरुद्ध’ है.
दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को उस याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया जिसमें तिहाड़ जेल परिसर से आतंकवादी मोहम्मद अफजल गुरु और मोहम्मद मकबूल भट्ट की कब्रों को हटाने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था. दोनों आतंकवादियों को मौत की सजा सुनाई गई थी और जेल परिसर में फांसी दी गई थी.
उच्च न्यायालय के संकेत को भांपते हुए याचिकाकर्ता के वकील ने अदालत से आग्रह किया कि याचिका वापस लेने और इसे कुछ आंकड़ों के साथ इसे पुनः दाखिल करने की अनुमति दी जाए.. मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने याचिकाकर्ताओं को जनहित याचिका वापस लेने की अनुमति दे दी और इसे “वापस लिया गया मानते हुए खारिज” कर दिया.
पीठ ने कहा, ‘‘किसी जनहित याचिका में राहत पाने के लिए अदालत का रुख करने के लिए, आपको हमें संवैधानिक अधिकारों, मौलिक अधिकारों या वैधानिक अधिकारों का उल्लंघन दिखाना होगा. कोई भी कानून या नियम जेल परिसर के अंदर दाह संस्कार या दफनाने पर रोक नहीं लगाता है.'
'कब्रों का निर्माण, उनका निरंतर अस्तित्व अवैध और जनहित के विरुद्ध'
जनहित याचिका में संबंधित अधिकारियों को निर्देश देने का अनुरोध किया गया था कि अगर आवश्यक हो तो शव को किसी गुप्त स्थान पर स्थानांतरित किया जाए ताकि ‘आतंकवाद का महिमामंडन' और जेल परिसर का दुरुपयोग रोका जा सके.
‘विश्व वैदिक सनातन संघ' और जितेंद्र सिंह नाम के व्यक्ति द्वारा दायर याचिका में दावा किया गया कि केंद्र सरकार द्वारा नियंत्रित जेल के अंदर इन कब्रों का निर्माण और उनका निरंतर अस्तित्व ‘अवैध, असंवैधानिक और जनहित के विरुद्ध' है.
'तिहाड़ केंद्रीय जेल को ‘कट्टरपंथी तीर्थस्थल' में बदल दिया..'
याचिका में आरोप लगाया गया कि इन कब्रों की मौजूदगी ने तिहाड़ केंद्रीय जेल को ‘कट्टरपंथी तीर्थस्थल' में बदल दिया है, जहां चरमपंथी तत्व दोषी ठहराए गए आतंकवादियों का महिमामंडन करने के लिए इकट्ठा होते हैं. इसमें कहा गया, “यह न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा व सार्वजनिक व्यवस्था को कमजोर करता है, बल्कि भारत के संविधान के तहत धर्मनिरपेक्षता और कानून के शासन के सिद्धांतों का सीधा उल्लंघन करते हुए आतंकवाद को भी सही ठहराता है.”
याचिका में दावा किया गया कि जेल के अंदर इन कब्रों का होना ‘दिल्ली कारागार नियमावली, 2018' के स्पष्ट प्रावधानों का उल्लंघन है. याचिका में कहा गया था, “इसलिए याचिकाकर्ता इस न्यायालय से शीघ्र हस्तक्षेप की गुहार करते हैं कि प्रतिवादियों को निर्देश दिया जाए कि वे तिहाड़ जेल से उक्त कब्रों को हटा कर उन्हें सुरक्षित और गुप्त स्थान पर पुनः स्थापित करें, जैसा कि अजमल कसाब और याकूब मेमन जैसे फांसी पाए आतंकवादियों के मामलों में स्थापित राज्य प्रथा के अनुसार हर सावधानी बरती गई थी, ताकि उनकी महिमामंडन से बचा जा सके.''
याचिका में कहा गया है कि भट्ट और गुरु दोनों ने ‘चरमपंथी जिहादी विचारधारा' के प्रभाव में आतंकवादी कृत्यों को अंजाम दिया, जिससे भारत की संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता और सुरक्षा को गंभीर खतरा है. भट्ट को 1984 में और अफजल गुरु को फरवरी 2013 में फांसी दी गई थी.
AIR रहमान को दिल्ली हाई कोर्ट से मिली राहत, शिव स्तुति की धुन चुराने का मामला खारिज
Published On
By khabarundekhi@gmail.com
दिल्ली हाईकोर्ट ने एआर रहमान की अपील मंजूर करते हुए सिंगल जज का वह आदेश रद्द कर दिया, जिसमें “वीरा राजा वीरा” गाने को दगर बंधुओं की “शिव स्तुति” से हूबहू समान बताया गया था. कोर्ट ने कहा कि प्रस्तुति करने वाला कलाकार अपने आप में “कंपोजर” नहीं माना जा सकता.
दिल्ली हाईकोर्ट ने म्यूजिक डायरेक्टर एआर रहमान को बड़ी राहत दी है. कोर्ट ने उस सिंगल जज बेंच के आदेश को रद्द कर दिया है, जिसमें रहमान की फिल्म पोनियिन सेलवन 2 (PS 2) के गाने “वीरा राजा वीरा” को दगर बंधुओं की रचना “शिव स्तुति” से हूबहू मिलान बताया गया था. न्यायमूर्ति सी हरि शंकर और न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ला की डिवीजन बेंच ने यह आदेश रहमान की अपील पर सुनाया. हालांकि फैसले की विस्तृत कॉपी अभी आना बाकी है.
कोर्ट ने कहा कि हमने समान मत दिया है. सिंगल जज ने इस आधार पर गलती की कि यदि किसी रचना को कोई कलाकार प्रस्तुत करता है तो उसे ही उसका संगीतकार मान लिया जाए. अगर हम इसे मान लें तो हमें कॉपीराइट एक्ट में ‘कंपोजर' की परिभाषा ही बदलनी होगी. यह मामला 25 अप्रैल को आए आदेश से जुड़ा है. उस दिन जस्टिस सिंह की सिंगल जज बेंच ने उस्ताद फैयाज वसीफुद्दीन दगर की याचिका पर फैसला सुनाते हुए रहमान और फिल्म निर्माताओं को निर्देश दिया था कि गाने के क्रेडिट में स्पष्ट लिखा जाए.
सिंगल जज बेंच ने 117 पन्नों में विस्तृत आदेश जारी कर कहा था कि एक साधारण श्रोता के नजरिये से भी दोनों रचनाएं लगभग समान हैं. इसी आधार पर कॉपीराइट उल्लंघन का दावा मान लिया गया था. लेकिन आज, डिवीजन बेंच ने उस आदेश को खारिज कर दिया और रहमान की अपील को मंजूरी दे दी. इसका मतलब है कि अब “वीरा राजा वीरा” के क्रेडिट बदलने की कोई बाध्यता नहीं रहेगी.
17 लड़कियों ने लगाए हैं आरोप, कौन है दिल्ली के आश्रम का डर्टी बाबा चैतन्यानंद, जाने पूरी खबर
Published On
By khabarundekhi@gmail.com
बाबा चैतन्यानंद पर आरोप लगाने वाले लड़कियों ने कोर्ट में दिए अपने बयान में कहा है कि बाबा उन्हें लगातार ब्लैकमेल कर रहा था. साथ ही उन्हें किसी से कुछ बोलने पर अंजाम भुगतने की धमकी भी देता था.
दिल्ली के एक नामी आश्रम में चल रहे गंदे खेल का पर्दाफाश हुआ है. पुलिस के अनुसार इस आश्रम में रह रही लड़कियों के साथ बीते कुछ समय से छेड़छाड़ की जा रही थी. इस आश्रम में रह रही 17 छात्राओं ने संचालक बाबा चैतन्यानंद पर छेड़छाड़ का आरोप भी लगाया है. आज हम आपको बाबा चैतन्यानंद के बारे में बताने जा रहे हैं. दिल्ली पुलिस से जुड़े सूत्रों के अनुसार आरोपी बाबा चैतन्यानंद ओडिशा का रहने वाला है. वह इस आश्रम में बीते 12 साल से रह रहा था.
इस बाबा पर छेड़खानी के दो मामले ओडिशा में भी दर्ज हैं. पहला मामला साल 2009 जबकि दूसरा 2016 में दर्ज कराया गया था. पुलिस की जांच में पता चला है दिल्ली के इस आश्रम में बाबा चैतन्यानंद केयरटेकर और संचालक भी था.वो इसी आश्रम में रह रहा था. बाबा चैतन्यानंद पर आरोप लगाने वाले लड़कियों ने कोर्ट में दिए अपने बयान में कहा है कि बाबा उन्हें लगातार ब्लैकमेल कर रहा था. साथ ही उन्हें किसी से कुछ बोलने पर अंजाम भुगतने की धमकी भी देता था.
बाबा चैतन्यानंद एक प्रख्यात प्राध्यापक, लेखक, वक्ता, शिक्षाविद् और क्वांटम चेतना के प्रतिपादक है. बाबा चैतन्यानंद शिकागो विश्वविद्यालय के बूथ स्कूल ऑफ बिज़नेस से एमबीए और पीएचडी है. उन्होंने कई पोस्ट डॉक्टरेट डिग्रियां और डी.लिट. भी प्राप्त की है और साथ ही उन्हें भारत और विदेश के विभिन्न विश्वविद्यालयों से सात मानद डी.लिट. की उपाधियां भी प्राप्त है. वो अमेरिका और ब्रिटेन के कॉर्पोरेट गवर्नेंस संस्थान और अखिल भारतीय प्रबंधन संघ के विशिष्ट फेलो भी हैं.
लगातार लोकेशन बदल रहा है बाबा
पुलिस की जांच में अभी तक पता चला है कि बाबा चैतन्यानंद इस मामले के आने के बाद लगातार अपना लोकेशन बदल रहा है. वो इस दौरान अपने मोबाइल का इस्तेमाल ना के बराबर कर रहा है. पुलिस सूत्रों के अनुसार उसकी आखिरी लोकेशन यूपी में आगरा के पास की आई है.
दिल्ली में दर्ज किया गया मामला
शिकायत मिलने के बाद वसंत कुंज (नार्थ) थाना पुलिस ने मामला दर्ज कर आरोपों की जांच शुरू कर दी है. इस आश्रम में दो बैच चल रहे हैं, जिनमें लगभग 35 से ज्यादा छात्राएं पढ़ती हैं. इनमें से 17 छात्राओं ने पुलिस को दिए बयान में कहा है कि आश्रम संचालक चैतन्यानंद सरस्वती ने उनके साथ छेड़छाड़ की. पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज कब्जे में लिए हैं और संस्थान से मिले हार्ड डिस्क को भी एफएसएल जांच के लिए भेज दिया है.वहीं 16 पीड़िताओं के बयान अदालत (पटियाला हाउस कोर्ट) में भी दर्ज कराए गए हैं.
आरोपों पर शृंगेरी आश्रम की सफाई
इस मामले पर दक्षिणामन्या श्री शारदा पीठम्, शृंगेरी आश्रम ने इन आरोपों पर सफाई दी है. आश्रम ने बयान जारी कर कहा कि स्वामी चैतन्यानंद सरस्वती गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल था. पीठ ने उसके खिलाफ शिकायत भी दर्ज की है.उनके आचरण और गतिविधियां अवैध, अनुचित और पीठ के हितों के खिलाफ रही हैं. इसी कारण उनसे पीठ के सभी संबंध समाप्त कर दिए गए हैं. स्वामी चैतन्यनंद सरस्वती के अवैध कार्यों को लेकर संबंधित अधिकारियों के पास शिकायत दर्ज कराई गई है.
वॉर्डन पर आश्रम संचालक के मिलवाने का आरोप
छात्राओं का आरोप है कि आश्रम में काम करने वाली कुछ वॉर्डन उन्हें आरोपी से मिलवाती थीं. सभी पीड़ित छात्राओं के बयान अदालत में धारा 164 CrPC के तहत दर्ज किए जा चुके हैं. वहीं मामला दर्ज होने के बाद से आरोपी फरार है. आरोपी की तलाश में पुलिस ने कई जगह दबिश दी लेकिन अब तक उसका कुछ भी पता नहीं चल सका है.
संचालक की कार पर लिखा UN का फर्जी नंबर
पुलिस जांच में सामने आया है कि आरोपी अपनी महंगी वॉल्वो कार पर फर्जी एंबेसी/UN का नंबर प्लेट लगाकर घूमता था. चिन्मयानंद ने अपनी वॉल्वो कार पर "39 UN 1" लिखवाया था. पुलिस ने जब इस नंबर की जांच की और यूएन से रिपोर्ट मांगी, तो पता चला कि ऐसा कोई नंबर जारी ही नहीं किया गया है. आरोपी ने खुद ही कार पर यह फर्जी नंबर लिखवा लिया था. फिलहाल पुलिस ने कार को जब्त कर लिया है और आरोपी तक पहुंचने की कोशिश कर रही है.
हिमाचल के पर्यावरण संकट पर हुई 'सुप्रीम' सुनवाई, SC ने राज्य सरकार से पूछे कई सवाल, 28 अक्टूबर तक मांगा जवाब
Published On
By khabarundekhi@gmail.com
जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने हिमाचल प्रदेश में पर्यावरण संरक्षण और जलवायु परिवर्तन से जुड़ी एक स्वतः संज्ञान जनहित याचिका में सुनवाई की.
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार, 23 सितंबर को हिमाचल प्रदेश में बिना लगाम हो रहे विकास कार्य और उससे पारिस्थितिक असंतुलन से संबंधित अपनी स्वतः संज्ञान जनहित याचिका पर सुनवाई की. सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश पारित किया जिसमें हिमाचल प्रदेश सरकार से राज्य में प्राकृतिक संसाधनों के दोहन और पारिस्थितिक असंतुलन से संबंधित कुछ सवालों के जवाब मांगे हैं. जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने कहा कि उसने सवालों की एक लिस्ट जारी की है जिसका जवाब राज्य सरकार को देना है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सवालों को लेकर विस्तृत आदेश आज सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड कर दिए जाएंगे. इसपर राज्य सरकार को 28 सितंबर तक सवालों का जवाब देना है. सुप्रीम कोर्ट के सवाल पारिस्थितिक असंतुलन, प्राकृतिक आपदाओं, उनके कारणों और राज्य सरकार द्वारा उठाए गए कदमों से संबंधित हैं. सुप्रीम कोर्ट ने ये सवाल एमिकस क्यूरी की 65 पेज की रिपोर्ट के आधार पर पूछे हैं.
हर साल हिमाचल झेल रहा प्रकृति की मार- लेकिन दोषी कौन?
इस साल 2025 के मानसून की भारी बारिश में भी राज्य में मानवीय और बुनियादी ढांचे को भारी नुकसान हुआ है. अपने पहले के जवाब में हिमाचल सरकार ने कहा था कि राज्य में आई तबाही जलवायु परिवर्तन की वजह से हुई है, जो कि एक वैश्विक सच्चाई है. राज्य सरकार ने कहा कि पिछले दिनों हुई भारी बारिश, क्लाउड बर्स्ट, फ्लैश फ्लड, भूस्खलन, बर्फबारी के पैटर्न में बदलाव और ग्लेशियरों का पिघलना जलवायु परिवर्तन का नतीजा है.
25 अगस्त को, देश की सबसे बड़ी अदालत ने हिमाचल प्रदेश में पारिस्थितिक असंतुलन से संबंधित एक मामले पर स्वत: संज्ञान लिया था. उसने पहले सख्त चेतावनी दी थी कि यदि तत्काल स्थिति को संभालने के लिए कदम नहीं उठाए गए तो राज्य नक्शे से गायब हो जाएगा. बेंच ने राज्य के अतिरिक्त महाधिवक्ता (एएजी) की दलीलें दर्ज की थीं, जिन्होंने बताया था कि हिमाचल प्रदेश ने 23 अगस्त को एक विस्तृत प्रतिक्रिया दायर की थी.
सुप्रीम कोर्ट ने किस मामले में तमिलनाडु सरकार को लगाई फटकार
Published On
By khabarundekhi@gmail.com
सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार की याचिका खारिज कर दी और कहा कि पूर्व नेताओं के महिमामंडन के लिए सार्वजनिक धन का उपयोग नहीं हो सकता.
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को तमिलनाडु सरकार को फटकार लगाते हुए साफ कहा कि पूर्व नेताओं के महिमामंडन के लिए सरकारी धन का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता. अदालत ने तिरुनेलवेली जिले में पूर्व मुख्यमंत्री एम. करुणानिधि की प्रतिमा लगाने की अनुमति मांगने वाली सरकार की याचिका खारिज कर दी.
जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने सुनवाई के दौरान कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि आप अपने पूर्व नेताओं के महिमामंडन के लिए सार्वजनिक धन का इस्तेमाल क्यों कर रहे हैं? इसकी अनुमति नहीं है. अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि जनता के पैसे का उपयोग केवल जनता के हित में होना चाहिए, न कि राजनीतिक व्यक्तित्वों की प्रशंसा के लिए.
करुणानिधि की प्रतिमा लगाना चाहती थी राज्य सरकार
राज्य सरकार ने तिरुनेलवेली जिले के वल्लियूर डेली वेजिटेबल मार्केट के सार्वजनिक प्रवेश द्वार के पास करुणानिधि की कांस्य प्रतिमा और नाम पट्टिका लगाने की अनुमति मांगी थी. इससे पहले मद्रास हाईकोर्ट ने स्पष्ट कर दिया था कि राज्य सरकार सार्वजनिक स्थानों पर प्रतिमाएं लगाने का आदेश जारी नहीं कर सकती. इसी आदेश को चुनौती देते हुए सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी.
सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को रखा बरकरार
सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए तमिलनाडु सरकार की याचिका को खारिज कर दिया. साथ ही राज्य सरकार से कहा गया कि वह अपनी याचिका वापस ले और यदि उसे किसी तरह की राहत चाहिए तो इसके लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाए.
अदालत ने अपने आदेश में यह भी दोहराया कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में नेताओं का सम्मान जनता के दिलों में होना चाहिए, न कि सरकारी पैसे से बनाई गई प्रतिमाओं और पट्टिकाओं के जरिए. कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि करदाताओं के पैसे से नेताओं का महिमामंडन संविधान और लोकतांत्रिक सिद्धांतों की भावना के खिलाफ है.