बिहार के SIR मामले पर बोला सुप्रीम कोर्ट, 'अगर वोटर लिस्ट से बड़े पैमाने पर नाम बाहर किए गए, तो हम तुरंत करेंगे हस्तक्षेप'

बिहार के SIR मामले पर बोला सुप्रीम कोर्ट, 'अगर वोटर लिस्ट से बड़े पैमाने पर नाम बाहर किए गए, तो हम तुरंत करेंगे हस्तक्षेप'

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सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग के वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी ने कहा कि आपत्तियों पर विचार करने के बाद ही वोटर लिस्ट की असली तस्वीर सामने आएगी कि किसे बाहर रखा गया है।

बिहार SIR मामले पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और गोपाल शंकरनारायणन एवं वकील प्रशांत भूषण याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए। सिब्बल ने कहा कि हमने तय कर लिया है कौन कितना वक्त दलील देगा, समय-सारणी पेश कर दी है।

15 लोगों को ये कहते हुए लाओ कि जो जीवित हैं- कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर बिहार की वोटर लिस्ट से बड़े पैमाने पर नाम बाहर किए गए हैं, तो हम तुरंत हस्तक्षेप करेंगे। 15 लोगों को यह कहते हुए लाओ कि वे जीवित हैं। चुनाव आयोग ने कहा कि लोगों को आपत्ति करने का अधिकार है। 30 दिन का समय दिया गया है, इन लोगों को नाम जुड़वाने में मदद करनी चाहिए।

65 लाख लोग कौन हैं- सिब्बल

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राजनीतिक दलों को इस समय गैर सरकारी संगठनों की तरह काम करना चाहिए। सिब्बल ने कहा कि वे जानते हैं कि ये 65 लाख लोग कौन हैं? प्रंशात भूषण ने कहा कि चुनाव आयोग ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि ये 65 लाख या तो मर चुके हैं या स्थायी रूप से स्थानांतरित हो गए हैं। सिब्बल ने कहा कि अगर वे मसौदा सूची में नामों का उल्लेख करते हैं, तो हमें कोई समस्या नहीं है।

3 घंटे दिया जाएगा बहस का समय

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर मसौदा सूची में स्पष्ट रूप से कुछ नहीं लिखा है, तो आप हमें बताएं। जस्टिस सूर्यकांत ने याचिकाकर्ताओं के वकीलों द्वारा दी गई बहस की समय-सारिणी को पढ़ा। उन्होंने कहा बहस के लिए हम 3 घंटे का समय देंगे। सिब्बल ने कहा कि कृपया हमारे बहस लिए एक पूरा दिन और चुनाव आयोग के लिए एक दिन का समय दें। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि वकीलों द्वारा बार-बार दोहराने की कोई ज़रूरत नहीं है।

मसौदा सूची का दिया जा चुका है विज्ञापन- चुनाव आयोग

कोर्ट में सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग ने कहा कि मसौदा सूची का विज्ञापन दिया जा चुका है, राजनीतिक दलों को दिया जा चुका है। जस्टिस कांत ने कहा कि जैसे ही वे अधिसूचना से हटेंगे, हम निश्चित रूप से हस्तक्षेप करेंगे। भूषण ने कहा कि वे कह रहे हैं कि 65 लाख लोगों में से अधिकांश की मृत्यु हो गई है या वे विस्थापित हैं।

चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था- जस्टिस कांत

सिब्बल ने कहा कि हमें नहीं पता कि कौन बचा है। क्या चुनाव आयोग ने नाम दिए हैं? जस्टिस कांत ने कहा कि चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था है, हम मानेंगे कि उनकी कार्रवाई कानून के अनुसार होगी। हम यहां हैं, हम मामले की सुनवाई करेंगे।

65 लाख लोगों ने फॉर्म नहीं जमा किए- वकील भूषण

भूषण ने कहा कि 65 लाख लोगों ने फॉर्म जमा नहीं किए हैं। वे (चुनाव आयोग) कहते हैं कि वे मर चुके हैं या कहीं और चले गए हैं। जो लोग ड्राफ्ट सूची में नहीं हैं, वे खुद को कैसे शामिल करवाएँगे? उन्हें नए सिरे से आवेदन करना होगा। उन्हें कैसे पता चलेगा कि उनका नाम ड्राफ्ट सूची में नहीं है?

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर, यह सूची नहीं थी, तो जनवरी 2025 की सूची ही शुरुआती बिंदु है। मसौदा सूची चुनाव आयोग द्वारा प्रकाशित की जाएगी आपकी आशंका है कि लगभग 65 लाख मतदाता सूची में शामिल नहीं होंगे चुनाव आयोग 2025 की प्रविष्टि के संबंध में सुधार की मांग कर रहा है। हम एक न्यायिक प्राधिकरण के रूप में इस मामले की समीक्षा कर रहे हैं। 

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग के वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी ने कहा कि आपत्तियों पर विचार करने के बाद ही वोटर लिस्ट की असली तस्वीर सामने आएगी कि किसे बाहर रखा गया है।

बिहार SIR मामले पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और गोपाल शंकरनारायणन एवं वकील प्रशांत भूषण याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए। सिब्बल ने कहा कि हमने तय कर लिया है कौन कितना वक्त दलील देगा, समय-सारणी पेश कर दी है।

15 लोगों को ये कहते हुए लाओ कि जो जीवित हैं- कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर बिहार की वोटर लिस्ट से बड़े पैमाने पर नाम बाहर किए गए हैं, तो हम तुरंत हस्तक्षेप करेंगे। 15 लोगों को यह कहते हुए लाओ कि वे जीवित हैं। चुनाव आयोग ने कहा कि लोगों को आपत्ति करने का अधिकार है। 30 दिन का समय दिया गया है, इन लोगों को नाम जुड़वाने में मदद करनी चाहिए।

65 लाख लोग कौन हैं- सिब्बल

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राजनीतिक दलों को इस समय गैर सरकारी संगठनों की तरह काम करना चाहिए। सिब्बल ने कहा कि वे जानते हैं कि ये 65 लाख लोग कौन हैं? प्रंशात भूषण ने कहा कि चुनाव आयोग ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि ये 65 लाख या तो मर चुके हैं या स्थायी रूप से स्थानांतरित हो गए हैं। सिब्बल ने कहा कि अगर वे मसौदा सूची में नामों का उल्लेख करते हैं, तो हमें कोई समस्या नहीं है।

3 घंटे दिया जाएगा बहस का समय

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर मसौदा सूची में स्पष्ट रूप से कुछ नहीं लिखा है, तो आप हमें बताएं। जस्टिस सूर्यकांत ने याचिकाकर्ताओं के वकीलों द्वारा दी गई बहस की समय-सारिणी को पढ़ा। उन्होंने कहा बहस के लिए हम 3 घंटे का समय देंगे। सिब्बल ने कहा कि कृपया हमारे बहस लिए एक पूरा दिन और चुनाव आयोग के लिए एक दिन का समय दें। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि वकीलों द्वारा बार-बार दोहराने की कोई ज़रूरत नहीं है।

मसौदा सूची का दिया जा चुका है विज्ञापन- चुनाव आयोग

कोर्ट में सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग ने कहा कि मसौदा सूची का विज्ञापन दिया जा चुका है, राजनीतिक दलों को दिया जा चुका है। जस्टिस कांत ने कहा कि जैसे ही वे अधिसूचना से हटेंगे, हम निश्चित रूप से हस्तक्षेप करेंगे। भूषण ने कहा कि वे कह रहे हैं कि 65 लाख लोगों में से अधिकांश की मृत्यु हो गई है या वे विस्थापित हैं।

चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था- जस्टिस कांत

सिब्बल ने कहा कि हमें नहीं पता कि कौन बचा है। क्या चुनाव आयोग ने नाम दिए हैं? जस्टिस कांत ने कहा कि चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था है, हम मानेंगे कि उनकी कार्रवाई कानून के अनुसार होगी। हम यहां हैं, हम मामले की सुनवाई करेंगे।

65 लाख लोगों ने फॉर्म नहीं जमा किए- वकील भूषण

भूषण ने कहा कि 65 लाख लोगों ने फॉर्म जमा नहीं किए हैं। वे (चुनाव आयोग) कहते हैं कि वे मर चुके हैं या कहीं और चले गए हैं। जो लोग ड्राफ्ट सूची में नहीं हैं, वे खुद को कैसे शामिल करवाएँगे? उन्हें नए सिरे से आवेदन करना होगा। उन्हें कैसे पता चलेगा कि उनका नाम ड्राफ्ट सूची में नहीं है?

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर, यह सूची नहीं थी, तो जनवरी 2025 की सूची ही शुरुआती बिंदु है। मसौदा सूची चुनाव आयोग द्वारा प्रकाशित की जाएगी आपकी आशंका है कि लगभग 65 लाख मतदाता सूची में शामिल नहीं होंगे चुनाव आयोग 2025 की प्रविष्टि के संबंध में सुधार की मांग कर रहा है। हम एक न्यायिक प्राधिकरण के रूप में इस मामले की समीक्षा कर रहे हैं। 

बिहार के SIR मामले पर बोला सुप्रीम कोर्ट, 'अगर वोटर लिस्ट से बड़े पैमाने पर नाम बाहर किए गए, तो हम तुरंत करेंगे हस्तक्षेप'
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