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चारधाम परियोजना को लेकर मुरली मनोहर जोशी ने क्यों लिखा CJI को पत्र
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By khabarundekhi@gmail.com
मुरली मनोहर जोशी ने CJI को लिखे अपने पत्र में कोर्ट के उस आदेश का जिक्र किया है इसमें चारधाम परियोजना के तहत सड़कों के चौड़ीकरण की अनुमति देने की बात कही है.
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली मनोहर जोशी ने चारधाम परियोजना के खिलाफ अपनी आवाज उठाई है. उन्होंने इस परियोजना को लेकर सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (CJI) को पत्र लिखा है. साथ इस परियोजना को लेकर अपने फैसले पर पुनर्विचार करने की अपील की है. उन्होंने अपने इस पत्र में हिमाचल प्रदेश में बीते दिनों आई प्राकृतिक आपदाओं का भी जिक्र किया है. आपको बता दें CJI को जिन लोगों ने पत्र लिखकर इस परियोजना को लेकर कोर्ट के फैसले पर विचार करने की बात कही है, उनमें डॉ कर्ण सिंह, डॉ मुरली मनोहर जोशी, कुंवर रेवती रमण सिंह, के एन गोविंदाचार्य, प्रो शेखर पाठक, रामचंद्र गुहा, सांसद रंजीत रंजन, उज्ज्वल रमन सिंह जैसे नाम शामिल हैं.
सड़क चौड़ीकरण का कर रहे हैं विरोध
मुरली मनोहर जोशी ने CJI को लिखे अपने पत्र में कोर्ट के उस आदेश का जिक्र किया है इसमें चारधाम परियोजना के तहत सड़कों के चौड़ीकरण की अनुमति देने की बात कही है. जोशी ने अदालत से अपने पहले के आदेश की समीक्षा करने की मांग की है. इस पत्र में कहा गया है कि इस तरह की स्थिति बेहद खतरनाक है. पत्र में कहा गया है कि हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने हिमाचल प्रदेश में उभरते “अस्तित्वगत संकट” को स्वीकार किया है. यदि अभी सुधारात्मक कदम नहीं उठाए गए तो पूरे देश को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा.
इस पत्र में विशेष रूप से भागीरथी इको-सेंसिटिव ज़ोन (BESZ) का उल्लेख किया गया है, जो गंगा का उद्गम स्थल है और हाल ही में धाराली आपदा जैसी त्रासदियों का सामना कर चुका है. नागरिकों का कहना है कि इस क्षेत्र में ‘आरओएमएडी' (ROMAD) डिज़ाइन से सड़क निर्माण की अनुमति देना जीवन, आजीविका और नदी तंत्र को अपूरणीय क्षति पहुंचा सकता है.
पत्र में यह भी स्वीकार किया गया है कि सीमावर्ती क्षेत्रों में रक्षा बलों की आवाजाही के लिए हर मौसम में संपर्क मार्ग आवश्यक है. लेकिन इसके साथ ही जोर दिया गया है कि हिमालय में इन्फ़्रास्ट्रक्चर का विकास “आपदा एवं जलवायु-लचीले दृष्टिकोण” से होना चाहिए, जो भू-भाग की पारिस्थितिक सीमाओं का सम्मान करता हो.नागरिकों ने मुख्य न्यायाधीश से आग्रह किया है कि चारधाम परियोजना के निर्णय की पुनः समीक्षा कर अधिक टिकाऊ ढांचा अपनाया जाए, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा की जरूरतों और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन स्थापित हो सके.
क्या है चार धार परियोजना
आपको बता दें कि चार धाम परियोजना उत्तराखंड के चार प्रमुख धार्मिक स्थलों - बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री को सबी मौसम में कनेक्टिविटी प्रदान करने वाली एक योजना है. यह भारत सरकार की राजमार्ग परियोजना है. इस परियोजना के तहत 889 किलोमीटर का राष्ट्रीय राजमार्ग बनाने की योजना है ताकि उत्तराखंड के इन पवित्र स्थलों तक श्रद्धालु पूरे साल बगैर किसी रोकटोक के पहुंच सके.
आपको बता दें कि चार धाम परियोजना उत्तराखंड के चार प्रमुख धार्मिक स्थलों - बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री को सबी मौसम में कनेक्टिविटी प्रदान करने वाली एक योजना है. यह भारत सरकार की राजमार्ग परियोजना है. इस परियोजना के तहत 889 किलोमीटर का राष्ट्रीय राजमार्ग बनाने की योजना है ताकि उत्तराखंड के इन पवित्र स्थलों तक श्रद्धालु पूरे साल बगैर किसी रोकटोक के पहुंच सके.
पूजा-पाठ ही नहीं सुख समृद्धि का भी केंद्र रहे हैं ये मंदिर
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By khabarundekhi@gmail.com
IIT रुड़की के इस अध्ययन में पाया गया कि 1350 ईस्वी से पहले निर्मित आठ प्राचीन शिव मंदिर जल, ऊर्जा और खाद्य उत्पादकता की प्रबल संभावनाओं वाले क्षेत्रों में स्थित थे.
अगर मैं आपसे कहूं कि केदारनाथ , कालेश्वरम , श्रीशैलम, कलवियूर, रामेश्वरम, चिदंबरम, कांचीपुरम और तिरुवन्नमलाई जैसे मंदिर सिर्फ यहां होने वाली पूजा-पाठ के लिए ही नहीं है बल्कि इस क्षेत्र की उत्पादकता की वजह से भी खास हैं, तो आपको शायद ही मेरी बातों पर भरोसा हो. लेकिन IIT रुड़की और अमृता विश्व विद्यापीठम की हालिया रिसर्च ने इस लेकर बड़ा दावा किया है. इस रिसर्च में दावा किया गया है कि इन मंदिरों को खासतौर पर उन्हीं इलाकों में बनाया गया है जहां पानी, ऊर्जा और खाद्य उत्पादकता के लिहाज से आसपास के इलाके से सबसे उन्नत थे. यानी अगर कहा जाए कि इन मंदिरों को उन ही इलाकों में बनाया गया जहां दूसरे क्षेत्रों की तुलना में ज्यादा उत्पादक थे तो इसमें कुछ भी गलत नहीं होगा.
IIT रुड़की के इस अध्ययन में पाया गया कि 1350 ईस्वी से पहले निर्मित आठ प्राचीन शिव मंदिर जल, ऊर्जा और खाद्य उत्पादकता की प्रबल संभावनाओं वाले क्षेत्रों में स्थित थे. शोधकर्ताओं के अनुसार शिव शक्ति अक्ष रेखा (SSAR) क्षेत्र के 18.5% भू-भाग - जहां ये मंदिर स्थित हैं. इन मंदिर के पास अगर खेती की जाए तो सालाना 44 मिलियन टन तक चावल का उत्पादन किया जा सकता है. साथ ही साथ अगर नवीकरणीय ऊर्जा की बात करें तो यहां से लगभग 597 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा का उत्पादन हो सकता है. इससे भारत के विकास को और तेजी से बढ़ाने में मदद मिल सकती है.
सालाना 44 मीट्रिक टन चावल का हो सकता है उत्पादन
इस अध्ययन में पाया गया है कि ये सभी मंदिर पारिस्थितिक संतुलन समृद्ध हैं. शोधकर्ताओं ने भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) भू-स्थानिक विश्लेषण का उपयोग करके मंदिरों के स्थानों को स्थलाकृति, वन आवरण, वर्षा, मृदा स्वास्थ्य और कृषि आंकड़ों के साथ जोड़ा है. आपको बता दें कि जिस बेल्ट में ये मंदिर स्थित हैं, उसके 18.5% भू-भाग पर सालाना 44 मीट्रिक टन चावल का उत्पादन हो सकता है. ये सभी आठ मंदिरों का निर्माण न केवल आध्यात्मिक और सामाजिक पहलुओं को ध्यान में रखकर किया गया था, बल्कि संसाधनों की उपलब्धता और कृषि उर्वरता को भी ध्यान में रखकर किया गया था. मंदिर निर्माण प्राकृतिक संसाधन वितरण की वैज्ञानिक समझ को दर्शाता है.
पहले का फॉरेस्ट एरिया और घना था
इस अध्ययन से पता चला है कि उस काल में वन क्षेत्र (फॉरेस्ट एरिया) आज की तुलना में लगभग 2.4 गुना अधिक सघन था, जिसके परिणामस्वरूप मृदा धारण क्षमता बेहतर हुई और पारिस्थितिक स्थिरता भी बेहतर हुई. हालांकि बारिश की मात्रा वर्तमान स्तर से भिन्न थी, फिर भी उनका भौगोलिक वितरण काफी हद तक स्थिर रहा, जिससे सदियों तक विश्वसनीय कृषि परिस्थितियां सुनिश्चित रहीं. मंदिरों के स्थान सीधे उन क्षेत्रों से संबंधित थे जहां सालभर जल स्रोतों, उपजाऊ भूमि और जलविद्युत या सौर ऊर्जा उत्पादन की क्षमता थी.शोधकर्ताओं ने स्थिरता से जुड़े प्राकृतिक पैटर्न की पहचान करने के लिए सुदूर संवेदन और साहित्य सर्वेक्षणों को संयोजित किया.
नेचर पोर्टफोलियो द्वारा ह्यूमैनिटीज एंड सोशल साइंसेज कम्युनिकेशंस में प्रकाशित इस शोध ने सुझाव दिया कि भारत के एनसिएंट प्लानिंग मॉडल माइथोलॉजी (कथाओं) से गहराई से जुड़े हुए हैं. और समकालीन विकास के लिए पारिस्थितिकी (इकोलॉजी फॉर कंटेम्पररी डेवलपमेंट) टेम्पलेट के रूप में काम कर सकते हैं. साथ ही कहा गया है कि भारत का लक्ष्य 2030 तक 500 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन का है, और अकेले SSAR बेल्ट की अनुमानित उत्पादन क्षमता इस लक्ष्य के दसवें हिस्से से भी अधिक योगदान दे सकती है.
IIT रुड़की के जल संसाधन विकास एवं प्रबंधन विभाग के प्रोफ़ेसर केएस काशिविश्वनाथ, जो इस अध्ययन के प्रमुख लेखक हैं, ने कहा कि यह ऐतिहासिक अंतर्दृष्टि से कहीं अधिक प्रदान करता है. इन मंदिर स्थलों के पीछे का विज्ञान हमें अपनी विरासत से प्राप्त स्थायी योजना का खाका प्रदान करता है. ये निष्कर्ष केवल पुरातात्विक नहीं हैं. ये आधुनिक भारत में जलवायु परिवर्तन के प्रति सहनशीलता और संसाधन सुरक्षा के लिए अत्यंत प्रासंगिक हैं. टीम ने निष्कर्ष निकाला कि मंदिर स्थल न केवल पवित्र थे, बल्कि पारिस्थितिक रूप से उत्पादक परिदृश्यों के अनुरूप रणनीतिक रूप से चुने गए थे.
हरिद्वार की सड़क पर जब उतरी हाथियों की फौज..
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By khabarundekhi@gmail.com
हरिद्वार की सड़कों पर हाथियों का झुंड देख लोग दहशत में आ गए. हाथियों को देख पूरे जगजीतपुर बाजार में हल्ला मच गया. लोग चिल्ला- चिल्लाकर दूसरों लोगों को हाथियों से बचने की चेतावनी देने लगे.
हरिद्वार की सड़कों पर आज सुबह एक, दो नहीं, बल्कि सात-सात हाथियों का झुंड बड़ी तेजी से जगजीतपुर के मुख्य बाजार की ओर बढ़ता दिखाई दिया. हाथियों की फौज को देखकर, वहां हड़कंप मंच गया. हालांकि, हाथियों ने किसी पर हमला नहीं किया, लेकिन ये काफी तेज गति से गुजर रहे थे. ऐसे में लोग दहशत में आ गए, क्योंकि ऐसा लग रहा था कि हाथी अपने रास्ते में आने वाले लोगों को कुचल कर निकल जाएंगे. हाथियों की चल को देख लोग इधर-उधर भागने लगे. इस अफरा-तफरी के माहौल को एक शख्स ने अपने मोबाइल कैमरे में कैद कर लिया.
जगजीतपुर के बाजार से जब हाथी गुजर रहे थे, तब वहां काफी लोग मौजूद थे. हाथियों को देख पूरे बाजार में हल्ला मच गया. लोग चिल्ला- चिल्लाकर दूसरों लोगों को हाथियों से बचने की चेतावनी देने लगे. हाथियों के गुजरने से पूरी सड़क ही कुछ देर के लिए जाम हो गई. हाथियों के झुंड को जिसने भी देखा, वो वहीं रुक गया.
इस बीच एक के बाद एक सात हाथी बड़ी तेजी से निकलते चले आए. लोग कुछ समझ पाते, इतने में ही हाथियों का झुंड उनके सामने था. कई स्थानीय व्यक्तियों ने हाथियों की इस फौज के दृश्य को अपने मोबाइल में भागते-भागते कैद कर लिया.
दरअसल, अक्सर हाथियों की आवाजाही इस क्षेत्र में होती ही रहती है, लेकिन हमेशा ही हाथी आराम से आते-जाते रहते हैं. हाथी किसी को भी कोई नुकसान नहीं पहुंचाते हैं. यहां तक देखा गया है कि हाथी खड़े व्यक्ति को देख आराम से अपना रास्ता भी बदल लेते हैं, लेकिन आज हाथियों की तेज चाल देख लोग दहशत में आ गए. ऐसा लग रहा था कि हाथी आज कुछ ज्यादा ही जल्दी में थे.
देहरादून में सौंग नदी ने दिखाया ऐसा विकराल रूप, पुल-सड़कें सब बहीं
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स्थानीय लोगों का कहना है अनुसार सौंग नदी ने इस बार विकराल रूप धारण कर लिया है और करीब 500 मीटर तक फैल गई है. इसके चलते सड़क और आसपास के इलाकों में बाढ़ जैसी स्थिति बन गई है.
उत्तराखंड में मॉनसून की बारिश का कहर जारी है. लगातार हो रही बारिश ने लोगों का जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है. राजधानी देहरादून में भारी नुकसान की खबरें सामने आ रही हैं. खासतौर पर सहस्त्रधारा और मालदेवता क्षेत्र सबसे ज्यादा प्रभावित बताए जा रहे हैं. देहरादून में सौंग नदी उफान पर है. नदी की लहरें सड़कें बहा ले गई हैं. पुल ध्वस्त हो गए हैं.
देहरादून-हरिद्वार राष्ट्रीय राजमार्ग पर फन वैली और उत्तराखंड डेंटल कॉलेज के पास पुल बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया है. ये गूगल मैप इमेज देख कर आप समझ सकते हैं, कौन-सा पुल क्षतिग्रस्त हुआ है.
दो लोग लापता, तलाश जारी
बताया जा रहा है कि दो लोग लापता हैं, जिनकी तलाश जारी है. स्थानीय लोगों का कहना है अनुसार सौंग नदी ने इस बार विकराल रूप धारण कर लिया है और करीब 500 मीटर तक फैल गई है. इसके चलते सड़क और आसपास के इलाकों में बाढ़ जैसी स्थिति बन गई है. वहीं, सहस्त्रधारा में बादल फटने से मकानों और दुकानों को काफी नुकसान पहुंचा है. राहत और बचाव कार्य जारी है, लेकिन हालात अब भी गंभीर बने हुए हैं.
5 वर्षों में ऐसा उफान नहीं देखा!
स्थानीय प्रशासन ने लोगों से नदी किनारे और निचले इलाकों में न जाने की अपील की है. मौसम विभाग ने भी अगले 48 घंटों के लिए भारी से बहुत भारी बारिश की चेतावनी जारी की है. विभाग का कहना है कि अब तक पिछले 10-15 सालों में सॉन्ग नदी का इतना उफान पहली बार देखा गया है. फिलहाल लगातार बारिश जारी है और खतरा बढ़ता जा रहा है. प्रशासन अलर्ट मोड पर है और आपदा प्रबंधन टीमें प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्य में जुटी हैं.
भारी बारिश की वजह से सोमवार रात कारलीगाढ़ सहस्त्रधारा क्षेत्र में बादल फटने की घटना सामने आई है. घटना के तुरंत बाद जिला प्रशासन ने राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिया है. जिला प्रशासन ने आसपास के निवासियों को रात में ही सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट कर दिया.
बादल फटने की वजह से देहरादून के किन-किन टूरिस्ट प्लेसेज को पहुंचा नुकसान? जाने
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By khabarundekhi@gmail.com
उत्तराखंड के देहरादून में बादल फटने से भीषण तबाही की बात सामने आई है। कई मंदिर, घर और सड़कें जलमग्न हो गई हैं। कई दुकानें क्षतिग्रस्त हो गई हैं और मलबा लोगों के घरों के अंदर तक घुसा है। एक जगह तो पुल भी बह गया है।
उत्तराखंड के देहरादून में हालात खतरनाक हैं। यहां के प्रसिद्ध टूरिस्ट स्पॉट सहस्त्रधारा के पास मंगलवार सुबह 5 बजे बादल फट गया। इसका असर ये हुआ कि तमसा नदी, कारलीगाड़ नदी, सहस्त्रधारा नदी में जलस्तर बढ़ गया और आसपास के इलाकों में पानी भर गया और सड़कें बह गईं।
सहस्त्रधारा: सहस्त्रधारा देहरादून का एक फेमस टूरिस्ट स्पॉट है, जहां बड़ी संख्या में टूरिस्ट पहुंचते हैं। यहां पहाड़ों से पानी गिरता है और लोग पानी में मस्ती करने के लिए पहुंचते हैं। खबर है कि सहस्त्रधारा समेत आसपास के इलाके (घड़ीकैंट, आईटी पार्क, तपोवन, घंगौरा) में पानी भरा है। मुख्य बाजार में दो से तीन बड़े होटल और कई दुकानें क्षतिग्रस्त होने की भी खबर है।
टपकेश्वर महादेव मंदिर: ये यहां का फेमस मंदिर है, जो तमसा नदी के किनारे है। यहां भी पानी भरने की वजह से मंदिर और दुकानें जलमग्न हैं और कुछ लोग लापता बताए जा रहे हैं। हालांकि रेस्क्यू ऑपरेशन चल रहा है।
फन वैली के पास तबाही: देहरादून-हरिद्वार राष्ट्रीय राजमार्ग पर फन वैली और उत्तराखंड डेंटल कॉलेज के पास भारी बारिश के कारण एक पुल बह गया।
मसूरी में क्या हैं हालात?
मसूरी में देर रात भारी बारिश हुई है, जिसकी वजह से मजदूरों के आवास पर मलबा गिरा और एक मजदूर की मौत हो गई। इसके अलावा एक मजदूर के गंभीर रूप से घायल होने की खबर है।
300 से 400 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया
आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार सुमन ने कहा, ‘‘देहरादून में सहस्त्रधारा और माल देवता तथा मसूरी से भी नुकसान की खबरें मिली हैं। देहरादून में दो से तीन लोग लापता बताए जा रहे हैं। मसूरी में एक व्यक्ति की मौत की खबर मिली है और इसकी पुष्टि की जा रही है।’’
आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार सुमन ने बताया, "प्रभावित इलाकों में टीम राहत और बचाव कार्यों में लगी हुई हैं, और 300 से 400 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है।"
नेपाल में बवाल के बाद उत्तराखंड के धारचूला में सूना-सूना 'दोस्ती का पुल'
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By khabarundekhi@gmail.com
भारत-नेपाल सीमा को इस फिलहाल बंद करके रखा गया है. एनडीटीवी की टीम लखीमपुर खीरे जिले के गौरीफंटा बॉर्डर पर मौजूद है, जहां बॉर्डर पर एसएसबी के अलावा पुलिस और पीएसी की तैनाती दिख रही है.
नेपाल में हिंसक प्रदर्शन और आगजनी से हालात बेकाबू हैं. नेपाली सेना ने प्रदर्शन की आड़ में किसी भी संभावित हिंसा को रोकने के लिए बुधवार को सुबह से शाम पांच बजे तक देशव्यापी प्रतिबंधात्मक आदेश लागू कर दिए. इसके साथ ही अगले दिन सुबह छह बजे तक कर्फ्यू लगा दिया गया है. सेना ने एक बयान में चेतावनी दी कि इस अवधि के दौरान किसी भी प्रकार के प्रदर्शन, तोड़फोड़, आगजनी व व्यक्तियों या संपत्ति को निशाना बनाने वाले हमलों को आपराधिक गतिविधि माना जाएगा और उससे निपटा जाएगा. इसमें कहा गया है कि प्रतिबंधात्मक आदेश पूरे देश में सुबह से शाम पांच बजे तक प्रभावी रहेंगे और उसके बाद गुरुवार सुबह छह बजे तक कर्फ्यू लागू रहेगा. बयान में कहा गया है, ‘बलात्कार और हिंसक हमलों का भी खतरा है. देश की सुरक्षा स्थिति को ध्यान में रखते हुए, प्रतिबंधात्मक आदेश और कर्फ्यू लागू कर दिया गया है.' नेपाल में इस बवाल के मद्देनजर भारतीय सुरक्षाबलों ने सीमा पर सख्ती बढ़ा दी है. उत्तराखंड में पिथौरागढ़ के धारचूला से लेकर बिहार के नेपाल से सटे जिलों में चौकसी बढ़ाई गई है. एसएसबी ने बॉर्डर के थानों को भी अलर्ट पर रखा है और अधिकारी लगातार नजर बनाए हुए हैं. किसी भी तरह की घुसपैठ या फिर उपद्रव को रोकने के लिए तमाम सुरक्षाबल तैयार हैं.
नेपाल में बवाल से 'दोस्ती का पुल' सूना
उत्तराखंड के धारचूला में भारत-नेपाल को जोड़ने वाले पुल पर आवाजाही रोकी गई है. आपातकालीन स्थिति में ही आवाजाही के निर्देश जारी किए गए हैं. इसके साथ ही SSB को अलर्ट मोड पर रखा गया है. काठमांडू के साथ नेपाल के दार्चुला जिले में भी प्रदर्शन देखने को मिल रहा है. नेपाल पुलिस के जवान लगातार गश्त लगा रहे है. मंगलवार को गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने दार्चुला में एमाले के ऑफिस में तोड़फोड़ की थी. इसके बाद दार्चुला में कर्फ्यू लगाया गया है.
बॉर्डर इलाकों पर बढ़ाई गई निगरानी
मधुबनी एसपी योगेन्द्र कुमार ने जयनगर थाना क्षेत्र के बेतोन्हा बॉर्डर पर बने चेक पोस्ट का दौरा किया. दरअसल मधुबनी जिला के जयनगर थाना क्षेत्र से महज तीन किलोमीटर दूर नेपाल के सिरहा जिले में प्रदर्शनकारियों ने उग्र प्रदर्शन किया था, जिसके बाद देर शाम एसपी योगेन्द्र कुमार ने बॉर्डर का जायजा लिया. एसपी ने बताया नेपाल में हिंसक प्रदर्शन को लेकर मधुबनी बॉर्डर इलाके को हाई अलर्ट पर रखा गया है.
मधुबनी जिला से नेपाल की चार जिलों की सीमा जुड़ा हुआ है. नेपाल की राजधानी काठमांडू में पीएम ओली के आवास को उपद्रवियों ने फूंक दिया है. पीएम इस्तीफा दे चुके हैं और उन्हें हेलिकॉप्टर से निकाला गया और सुरक्षित गुप्त स्थानों में पहुंचा दिया गया है. फिलहाल नेपाल में हालात लगातार बिगड़ रहे हैं और किसी तरह हिंसक प्रदर्शन को खत्म करने की कोशिश हो रही है.
भारत-नेपाल सीमा को किया गया बंद
भारत-नेपाल सीमा को इस फिलहाल बंद करके रखा गया है. एनडीटीवी की टीम लखीमपुर खीरे जिले के गौरीफंटा बॉर्डर पर मौजूद है, जहां बॉर्डर पर एसएसबी के अलावा पुलिस और पीएसी की तैनाती दिख रही है. आमतौर पर बॉर्डर पर सिर्फ एसएसबी की तैनाती रहती है. भारत के नागरिकों को नेपाल जाने की अनुमति नहीं है, लेकिन नेपाल में फंसे भारतीय पहचान पत्र दिखाकर इंडिया आ सकते हैं. नेपाली नागरिकों को नेपाल अपने यहां आने की अनुमति दे रहा है, लेकिन भारतीय नागरिक नेपाल में नहीं जा सकते हैं.
उत्तराखंड के धराली में तबाही, अब तक कितनों को बचाया गया, कितने लोग लापता? जानिए
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By khabarundekhi@gmail.com
उत्तराखंड के उत्तरकाशी में मंगलवार को बादल फटने से खीरगंगा नदी में अचानक बाढ़ आ गई थी। इस बाढ़ की चपेट में आने के कारण धराली गांव में तबाही मची थी। आइए जानते हैं कि इस हादसे के बाद अब तक कितने लोगों को बचाया गया है और कितने लोग लापता हैं।
उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली गांव में मंगलवार को बादल फटने के बाद अचानक बाढ़ आ गई थी। इस आपदा में बड़ी संख्या में घर और होटल तबाह हो गए थे। अचानक आई इस बाढ़ के बाद धराली में चारों तरफ सिर्फ तबाही का मंजर है। गुरुवार को भी सेना, एनडीआरएफ की ओर से धराली में राहत और बचाव अभियान चला रही है। सेना ने जानकारी दी है कि धराली में हुए हादसे के बाद अब तक 70 लोगों को बचाया जा चुका है।
कितने लोग लापता हैं?
उत्तरकाशी के धराली गांव में बचाव अभियान के तीसरे दिन सेना ने गुरुवार को अहम जानकारी दी है। सेना ने बताया है कि धराली में आपदा के बाद अब तक 70 लोगों को बचाया जा चुका है। वहीं, 50 से भी ज्यादा लोग अब भी लापता बताए जा रहे हैं। इसके अलावा हादसे में चार लोगों की मौत की जानकारी सामने आ चुकी है।
300 लोगों को हर्षिल लाया गया
उत्तराखंड के आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार सुमन ने जानकारी दी है कि गंगोत्री और इसके आसपास के इलाकों में फंसे हुए करीब 300 लोगों को हर्षिल लाया गया है। ये सभी लोग सेफ हैं। उन्होंने बताया है कि इन यात्रियों में गुजरात, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान, असम, कर्नाटक, तेलंगाना, और पंजाब जैसे विभिन्न राज्यों के तीर्थ यात्री शामिल हैं। इनके अलावा इस आपदा के बाद एक अधिकारी सेना के 8 जवान भी लापता बताए जा हैं। वहीं, 9 सैन्यकर्मियों और तीन नागरिकों को हेलीकॉप्टर की मदद से देहरादून लाया गया है।
कैसे हो रही है लोगों को बचाने की कोशिश?
धराली में आधुनिक उपकरणों को लाने की कोशिशों को तेज कर दिया गया है। मलबे में दबे लोगों की तलाश के काम को तेज करने की कोशिश की जा रही है। धराली और निकटवर्ती हर्षिल में मानवीय सहायता और आपदा राहत ऑपरेशन तेज कर दिया गया है। कई जगहों पर लैंडस्लाइड और सड़के टूटने के कारण यह क्षेत्र अब भी अन्य क्षेत्रों से कटा हुआ है। इंजीनियरों, चिकित्सा दलों सहित 225 से ज़्यादा बचावकर्मी मौके पर मौजूद हैं और राहत अभियान चला रहे हैं। खोजी और बचाव कुत्तों को भी मौके पर तैनात किया गया है।
धराली में 28 केरलवासियों का ग्रुप हुआ लापता, उत्तरकाशी से गंगोत्री के लिए निकला था
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By khabarundekhi@gmail.com
उत्तराखंड के धराली गांव में बादल फटने और भूस्खलन से आई बाढ़ में भारी तबाही हुई। इस घटना में 28 केरलवासियों के एक ग्रुप के लापता होने की खबर सामने आई है। राहत कार्य जारी है, लेकिन खराब मौसम और रास्तों के बंद होने से बचाव कार्यों में मुश्किलें आ रही हैं।
उत्तराखंड के धराली गांव में मंगलवार को बादल फटने और भूस्खलन की वजह से आई बाढ़ ने भारी तबाही मचाई है। बुधवार को राहत और बचाव कार्यों में तेजी आई, जिसमें एक शव बरामद हुआ और 150 लोगों को सुरक्षित निकाला गया। हालांकि, बारिश और भूस्खलन की वजह से बचाव कार्यों में भारी मुश्किलें आ रही हैं। 28 केरलवासियों के एक ग्रुप सहित करीब 50 लोग अभी भी लापता हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह ग्रुप उत्तरकाशी से गंगोत्री जा रहा था और इसका अभी तक पता नहीं चल पाया है। उत्तरकाशी समेत सूबे के कई इलाकों में अगले 18 घंटों में तेज बारिश की संभावना है।
उत्तरकाशी आपदा नियंत्रण कक्ष ने बताया कि बरामद शव की पहचान 35 वर्षीय आकाश पंवार के रूप में हुई है। मंगलवार को बादल फटने के बाद तेज बहाव में धराली गांव का आधा हिस्सा मलबे, कीचड़ और पानी में बह गया। गांव में कई घर, होटल और गाड़ियां तबाह हो गईं। 28 केरलवासियों का एक ग्रुप, जो उत्तरकाशी से गंगोत्री जा रहा था, भी लापता है। एक रिश्तेदार ने बताया, 'वे सुबह 8:30 बजे गंगोत्री के लिए निकले थे। उसी रास्ते पर भूस्खलन हुआ और तब से उनका कोई अता-पता नहीं है।'
बचाव कार्यों पर खराब मौसम ने डाला असर
राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF) के डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल मोहसिन शाहेदी ने बताया कि NDRF की 3 टीमें धराली के लिए रवाना हुईं, लेकिन लगातार भूस्खलन की वजह से ऋषिकेश-उत्तरकाशी हाईवे बंद है। 2 टीमें देहरादून से हेलिकॉप्टर के जरिए भेजी जानी थीं, लेकिन खराब मौसम ने इसे नामुमकिन कर दिया। सेना, ITBP और SDRF की टीमें मौके पर राहत कार्य में जुटी हैं। गंगोत्री नेशनल हाईवे कई जगहों पर बंद है और गंगनानी में लिमच्छा नदी पर बना एक पुल भी बाढ़ में बह गया।
हर दूध मेला के मौके पर जमा थे लोग
हर्शिल के पास सेना के 11 जवान भी लापता हैं। फिर भी 14 राजस्थान राइफल्स के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल हर्षवर्धन 150 सैनिकों की टीम के साथ राहत कार्य में जुटे हैं। डिफेंस प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल मनीष श्रीवास्तव ने कहा, 'हमारी टीम पूरे हौसले के साथ काम कर रही है।' भारतीय सेना ने MI-17 और चिनूक हेलिकॉप्टर तैयार रखे हैं, जो मौसम साफ होते ही उड़ान भरेंगे। बता दें कि धराली, गंगोत्री के रास्ते में एक प्रमुख पड़ाव है, जहां हर दूध मेला चल रहा था। इस दौरान कई लोग वहां जमा थे।
'हमारा होटल और घर सब बह गया'
एक स्थानीय व्यक्ति ने बताया, 'मेरे भाई, उनकी पत्नी और बेटे से दोपहर 2 बजे के बाद से कोई संपर्क नहीं हुआ। हमारा होटल और घर सब बह गया। सीएम ने भरोसा दिया है कि मौसम ठीक होने पर हेलिकॉप्टर से तलाश शुरू होगी।' बता दें कि उत्तराखंड के कई हिस्सों में भारी बारिश हो रही है। रुद्रप्रयाग में मंदाकिनी, हरिद्वार में बाणगंगा और देवप्रयाग में भागीरथी नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। राजाजी टाइगर रिजर्व के मोतीचूर रेंज में भूस्खलन की वजह से हरिद्वार-ऋषिकेश-देहरादून रेल मार्ग भी बंद है। हरिद्वार रेलवे स्टेशन पर यात्रियों के लिए हेल्प डेस्क बनाई गई है।
उत्तरकाशी समेत कई इलाकों में तेज बारिश की संभावना
अगले 18 घंटों में अल्मोड़ा, बागेश्वर, चमोली, चंपावत, देहरादून, हरिद्वार, नैनीताल, पौड़ी, पिथौरागढ़, रुद्रप्रयाग, टिहरी, यूएस नगर और उत्तरकाशी के अलग-अलग स्थानों पर भारी से बहुत भारी बारिश, गरज के साथ बौछारें और बिजली चमकने के साथ तीव्र से बहुत तीव्र बारिश होने की संभावना है।
धराली में बादल फटने के बाद केरल के 28 पर्यटकों का ग्रुप लापता
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अधिकारियों ने बताया कि इस वक्त गंगोत्री धाम में लगभग 400 यात्री हैं, जो सुरक्षित हैं. फंसे लोगों को निकालने के लिए भारतीय सेना ने एमआई-17 औैर चिनूक हेलीकॉप्टर तैयार रखे हैं जो मौसम साफ होते ही उड़ान भरेंगे.
उत्तराखंड में उत्तरकाशी के धराली में आई महाआपदा के बाद मलबे में जिंदगी की तलाश जारी है. बुधवार दोपहर तक करीब 150 लोगों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया था. 50 से अधिक लोग अब भी लापता बताए जा रहे हैं. केरल राज्य से उत्तराखंड घूमने आए 28 पर्यटकों के एक ग्रुप का भी पता नहीं चल पा रहा है. लापता लोगों में हर्षिल के आर्मी कैंप के 11 सैनिक भी शामिल हैं.
एक दिन पहले बेटे से हुई थी बात
परिजनों ने बुधवार को जानकारी देते हुए बताया कि उत्तराखंड में लापता हुए 28 लोगों में से 20 केरल के मूल निवासी थे, जो बाद में महाराष्ट्र में जाकर बस गए. बाकी 8 लोग केरल के विभिन्न जिलों के रहने वाले हैं. पर्यटकों के इस ग्रुप में शामिल एक दंपति के रिश्तेदार ने मीडिया को बताया कि दंपति के बेटे से उनकी आखिरी बार एक दिन पहले बात हुई थी.
उत्तरकाशी से गंगोत्री के लिए निकले थे
उन्होंने बताया कि ये लोग सुबह करीब 8.30 बजे उत्तरकाशी से गंगोत्री के लिए निकले थे. इसी रास्ते में भूस्खलन हुआ. उसकेबाद से उनसे कोई संपर्क नहीं हो पाया है. उन्होंने आगे बताया कि हरिद्वार की एक ट्रैवल एजेंसी ने 10 दिन का उत्तराखंड टूर प्लान किया था. हालांकि ट्रैवल एजेंसी भी इस ग्रुप के बारे में कोई अपडेट नहीं दे पा रहा है.दंपति के रिश्तेदार ने अभी उम्मीद नहीं छोड़ी है. उन्होंने संपर्क न होने को लेकर कहा कि हो सकता है कि उनके फोन की बैटरी अब खत्म हो गई हो. उस इलाके में फिलहाल कोई मोबाइल नेटवर्क भी नहीं है.
UP-उत्तराखंड में बारिश का कहर, कई जिलों में ऑरेंज अलर्ट
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उत्तराखंड में 4 और 5 अगस्त को भारी बारिश की चेतावनी दी गई है. 4 अगस्त को नैनीताल, चंपावत, बागेश्वर और देहरादून में ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है.
उत्तर भारत में मानसून अपना रौद्र रूप दिखा रहा है. उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में लगातार हो रही भारी बारिश से जनजीवन बुरी तरह प्रभावित है. मौसम विभाग ने दोनों राज्यों के कई जिलों में ऑरेंज अलर्ट जारी किया है, जिससे प्रशासन सतर्क हो गया है और एहतियातन कई जिलों में स्कूलों को बंद कर दिया गया है.
उत्तराखंड में 4 और 5 अगस्त को भारी बारिश की चेतावनी दी गई है. 4 अगस्त को नैनीताल, चंपावत, बागेश्वर और देहरादून में ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है. वहीं 5 अगस्त को नैनीताल, चंपावत, बागेश्वर, उधमसिंह नगर, पौड़ी और देहरादून में भारी बारिश के आसार हैं. इन जिलों में प्रशासन ने सभी सरकारी, अशासकीय, निजी शैक्षणिक संस्थानों और आंगनबाड़ी केंद्रों में छुट्टी घोषित कर दी है.
पिथौरागढ़ जिले के डीडीहाट, धारचूला और मुनस्यारी में भी 4 अगस्त को स्कूल बंद रखने का आदेश दिया गया है. लगातार हो रही बारिश से भूस्खलन और जलभराव की आशंका को देखते हुए यह कदम उठाया गया है. उत्तर प्रदेश में भी हालात कुछ अलग नहीं हैं. राजधानी लखनऊ में जिलाधिकारी के आदेश पर 4 अगस्त को कक्षा 1 से 12 तक के सभी बोर्डों द्वारा संचालित विद्यालय बंद रखे गए हैं. आदेश में यह भी कहा गया है कि यदि किसी विद्यालय के बच्चे पहले ही बस या वैन से स्कूल के लिए रवाना हो चुके हैं, तो उन्हें तत्काल सूचित कर वापस बुला लिया जाए.
मौसम विभाग के अनुसार, अगले कुछ दिनों तक बारिश का सिलसिला जारी रह सकता है. प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे अनावश्यक रूप से घरों से बाहर न निकलें और सुरक्षित स्थानों पर रहें. आपदा प्रबंधन टीमें अलर्ट मोड पर हैं और संवेदनशील इलाकों में निगरानी बढ़ा दी गई है. बारिश के कारण कई जगहों पर यातायात बाधित हुआ है और बिजली आपूर्ति भी प्रभावित हुई है. पहाड़ी इलाकों में भूस्खलन की घटनाएं सामने आ रही हैं, जिससे लोगों की चिंता बढ़ गई है.
हरिद्वार में कावड़िए छोड़ गए हजारों मेट्रिक टन कूड़ा, सफाई में लगे 1 हजार से अधिक कर्मचारी
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हरिद्वार के जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने बताया कि कांवड़ यात्रा में रोजाना लाखों की संख्या में पैदल और वाहनों से कांवड़िए हरिद्वार पहुंच रहे थे और ऐसे में सफाईकर्मियों के लिए क्षेत्र में कूड़ा वाहन लेकर जाना संभव नहीं हो पा रहा था.
कावड़ मेला 2025 सकुशल संपन्न हो गया हो. लेकिन हरिद्वार नगर निगम के लिए असली चुनौती तो कावड़ मेले के बाद सामने आती है. दरअसल कांवड मेला खत्म होने के बाद हरिद्वार में गंगा घाटों से लेकर हाइवे तक गंदगी ही गंदगी नजर आ रही हैं. 4.5 करोड़ से अधिक की संख्या में पहुंचे शिव भक्त कांवड़िए कई हजार मैट्रिक टन कूड़ा छोड़ गए हैं. जिसके बाद नगर निगम के लिए शहर को साफ करना बड़ी चुनौती बनी हुई है. नगर निगम की कई टीमें दिन-रात अभियान के तहत गंगा घाटों और रास्तों को साफ करने में लगी हुई है.
10 जुलाई से 23 जुलाई को हरिद्वार में कांवड मेला समाप्त होने के बाद अब गंदगी का अंबार लग गया है. प्रशासन के मुताबिक कांवड मेले में साढ़े चार करोड़ से ज्यादा शिव भक्त कांवड़िए हरिद्वार पहुंचे थे. हरकी पौड़ी सहित अन्य घाट और हाईवे पर गंदगी ही गंदगी नजर आ रही है. नगर निगम द्वारा सफाई अभियान के लिए निगम के कर्मचारियों के साथ एक हजार अधिक कर्मचारीयो को लगाया गया है, जो कांवड मेले के दौरान भी और मेला समाप्त होने के बाद दिन रात कूड़ा उठाने का काम कर रहे है.
सफाई का काम निरंतर चलता रहा
हरिद्वार के जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने 'पीटीआई-भाषा' को बताया कि कांवड़ यात्रा में रोजाना लाखों की संख्या में पैदल और वाहनों से कांवड़िए हरिद्वार पहुंच रहे थे और ऐसे में सफाईकर्मियों के लिए क्षेत्र में कूड़ा वाहन लेकर जाना संभव नहीं हो पा रहा था .
उन्होंने कहा कि इसलिए ऐसे क्षेत्रों में नियमित सफाई नहीं हो पा रही थी लेकिन जिन क्षेत्रों में सफाईकर्मी जा पा रहे थे, वहां सफाई का काम निरंतर चलता रहा.
हरिद्वार नगर निगम के मुख्य नगर आयुक्त नन्दन कुमार ने बताया, “ हरिद्वार में लगातार 15 दिन तक बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के आने की वजह से सफाई व्यवस्था एक बड़ी चुनौती थी. उन्होंने बताया कि अभी तक निगम क्षेत्र में करीब 10 हजार मीट्रिक टन कूड़ा एकत्र होने का अनुमान है.
उत्तराखंड के सरकारी स्कूलों की प्रार्थना सभा में गूंजने लगे हैं श्रीमद् भागवत गीता के श्लोक
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उत्तराखंड के सरकारी स्कूलों की प्रार्थना सभा में गूंजने लगे हैं श्रीमद् भागवत गीता के श्लोक
माध्यमिक शिक्षा के निदेशक डॉ मुकुल सती ने इसके पीछे का कारण और दृष्टिकोण बताया है कि न सिर्फ इससे बच्चे अपनी प्राचीन परंपराओं इतिहास के बारे में रूबरू हो सकेंगे बल्कि उनके जीवन में भी उनके पर्सनालिटी डेवलपमेंट यानी बौद्धिक क्षमता को भी यह श्लोक बढ़ाने में मदद करेंगे.
उत्तराखंड के सभी सरकारी स्कूलों में श्रीमद् भागवत गीता के श्लोक सुबह की प्रार्थना सभा में बोले जाएंगे. इसके लिए आदेश भी जारी कर दिया गया है. माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. मुकुल कुमार सती ने नई व्यवस्था लागू करने का आदेश जारी किया है. उत्तराखंड के करीब 17 हजार सरकारी स्कूलों में अब सुबह की प्रार्थना सभा में प्रत्येक दिन गीता के श्लोक न सिर्फ उनका उच्चारण होता बल्कि उसे श्लोक का अर्थ क्या है, यह भी बच्चों को बताया जाएगा. इसको लेकर माध्यमिक शिक्षा की तरफ से एक आदेश जारी कर दिया गया है और मंगलवार से यह सभी स्कूलों में लागू की कर दिया गया है. इसका मकसद बच्चों को अपनी प्राचीन परंपराओं से अवगत कराना है. आदेश में लिखा गया है कि हर हफ्ते एक मूल्य आधारित श्लोक को प्रार्थना सभा में बोला जाएगा और उसे श्लोक को सूचना पथ पर भी अर्थ सहित लिखा जाएगा.
माध्यमिक शिक्षा के निदेशक डॉ मुकुल सती ने इसके पीछे का कारण और दृष्टिकोण बताया है कि न सिर्फ इससे बच्चे अपनी प्राचीन परंपराओं इतिहास के बारे में रूबरू हो सकेंगे बल्कि उनके जीवन में भी उनके पर्सनालिटी डेवलपमेंट यानी बौद्धिक क्षमता को भी यह श्लोक बढ़ाने में मदद करेंगे. इसके अलावा हफ्ते भर में विद्यालय के छात्र-छात्रा उसका अभ्यास करेंगे और हफ्ते के अंतिम दिन इस पर चर्चा कर फीडबैक लिया जाए. डॉ. सती ने बताया कि शिक्षक समय-समय पर श्लोकों की व्याख्या करते हुए छात्र-छात्राओं को सैद्धांतिक जानकारी देंगे.
श्रीमद् भागवत गीता को सुबह प्रार्थना सभा में शामिल करने को लेकर आदेश में कहा गया है कि
1. प्रार्थना सभा में प्रतिदिन श्रीमद्भगवद्गीता के कम से कम एक उपयुक्त श्लोक अर्थ सहित छात्र-छात्राओं को सुनाया जाए तथा इसके वैज्ञानिक दृष्टिकोण की जानकारी भी उन्हें दी जाए.
2. इसी प्रकार प्रत्येक सप्ताह एक मूल्य आधारित श्लोक को 'सप्ताह का श्लोक' घोषित कर उसे सूचना पट्ट पर अर्थ सहित लिखा जाय तथा छात्र-छात्रा उसका अभ्यास करें तथा सप्ताह के अन्तिम दिवस को इस पर चर्चा कर फीडबैक लिया जाए.
3. शिक्षक समय-समय पर श्लोकों की व्याख्या करें तथा छात्र-छात्राओं को जानकारी दें कि श्रीमद्भगवद्गीता के सिद्धांत किस प्रकार मानवीय मूल्य, व्यवहार, नेतृत्व कौशल, निर्णय क्षमता, भावनात्मक संतुलन और वैज्ञानिक सोच विकसित करते हैं. उदाहरणार्थ, गीता का श्लोक 'कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन' छात्र-छात्राओं को परिणाम प्राप्त करने के लिए प्रयास करने के लिए प्रेरित करता है तथा समझाता है कि किसी भी लक्ष्य की प्राप्ति हेतु निरंतर कार्य और सुधार ही वैज्ञानिक सफलता का आधार है.
4. छात्र-छात्राओं को यह भी जानकारी दी जाय कि श्रीमद्भगवद्गीता में दिए गए उपदेश सांख्य, मनोविज्ञान, तर्कशास्त्र, व्यवहार विज्ञान एवं नैतिक दर्शन पर आधारित हैं जो कि धर्मनिरपेक्ष दृष्टिकोण से सम्पूर्ण मानवता के लिए उपयोगी हैं.
5. विद्यालय स्तर पर यह भी सुनिश्चित किया जाए कि छात्र-छात्राओं को श्रीमद्भगवद्गीता के श्लोक केवल विषय या पठन सामग्री के रूप में न पढ़ाए जाएं, अपितु यह भी सुनिश्चित किया जाय कि यह प्रयास उनके जीवन एवं व्यवहार में भी परिलक्षित होना चाहिए.
दरअसल नई शिक्षा नीति के अंतर्गत पाठ्यक्रम में प्राचीन विषयों को शामिल करने की बात कही गई है जिसमें 70 फ़ीसदी विषय या फिर पाठ्यक्रम केंद्र द्वारा तय किया जाएगा तो वही 30% राज्य अपने सरकारी स्कूलों में अपने हिसाब से प्राचीन विषयों को शामिल कर सकता है इसके तहत उत्तराखंड में सभी सरकारी स्कूलों के पाठ्यक्रम में रामायण और श्रीमद् भागवत गीता के पाठ्यक्रम को शामिल किया गया है.