PM मोदी की डिग्री सार्वजनिक नहीं होगी... दिल्ली हाईकोर्ट ने ठुकराई याचिका

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डीयू ने साल 2017 में सीआईसी के उस आदेश के खिलाफ याचिका दायर की थी जिसमें 1978 में बीए प्रोग्राम पास करने वाले छात्रों के रिकॉर्ड की जांच की अनुमति दी गई थी.

दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के उस आदेश को रद्द कर दिया है जिसमें दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ग्रेजुएशन की डिग्री से जुड़ी जानकारी का खुलासा करने का निर्देश दिया गया था. डीयू ने साल 2017 में सीआईसी के उस आदेश के खिलाफ याचिका दायर की थी जिसमें 1978 में बीए प्रोग्राम पास करने वाले छात्रों के रिकॉर्ड की जांच की अनुमति दी गई थी. पीएम मोदी ने भी उसी समय यह परीक्षा पास की थी.  24 जनवरी 2017 को पहली सुनवाई के दिन इस आदेश पर रोक लगा दी गई थी.  

दायर की गई थी RTI

न्यायमूर्ति सचिन दत्ता ने सीआईसी के आदेश को चुनौती देने वाली दिल्ली विश्वविद्यालय की याचिका पर यह फैसला सुनाया. न्यायमूर्ति सचिन दत्ता ने 27 फरवरी को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. नीरज नामक व्यक्ति की ओर से आरटीआई आवेदन के बाद, सीआईसी ने 1978 में बीए  की परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले सभी छात्रों के रिकॉर्ड के निरीक्षण की 21 दिसंबर, 2016 को अनुमति दे दी. 

अजनबी नहीं देख सकते रिकॉर्ड 

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता विश्वविद्यालय की ओर से पेश हुए और उन्होंने दलील दी कि केंद्रीय सूचना आयोग द्वारा पारित विवादित आदेश रद्द किए जाने योग्य है.  उन्होंने कहा कि उन्हें कोर्ट को रिकॉर्ड दिखाने में कोई आपत्ति नहीं है. उन्होंने कहा कि 1978 की एक आर्ट ग्रेजुएट की डिग्री है. सॉलिसिटर जनरल ने आगे कहा कि विश्वविद्यालय को अदालत को डिग्री दिखाने में कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन वह रिकॉर्ड को अजनबियों की तरफ से जांच के लिए नहीं रख सकता.

डीयू ने साल 2017 में सीआईसी के उस आदेश के खिलाफ याचिका दायर की थी जिसमें 1978 में बीए प्रोग्राम पास करने वाले छात्रों के रिकॉर्ड की जांच की अनुमति दी गई थी.

दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के उस आदेश को रद्द कर दिया है जिसमें दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ग्रेजुएशन की डिग्री से जुड़ी जानकारी का खुलासा करने का निर्देश दिया गया था. डीयू ने साल 2017 में सीआईसी के उस आदेश के खिलाफ याचिका दायर की थी जिसमें 1978 में बीए प्रोग्राम पास करने वाले छात्रों के रिकॉर्ड की जांच की अनुमति दी गई थी. पीएम मोदी ने भी उसी समय यह परीक्षा पास की थी.  24 जनवरी 2017 को पहली सुनवाई के दिन इस आदेश पर रोक लगा दी गई थी.  

दायर की गई थी RTI

न्यायमूर्ति सचिन दत्ता ने सीआईसी के आदेश को चुनौती देने वाली दिल्ली विश्वविद्यालय की याचिका पर यह फैसला सुनाया. न्यायमूर्ति सचिन दत्ता ने 27 फरवरी को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. नीरज नामक व्यक्ति की ओर से आरटीआई आवेदन के बाद, सीआईसी ने 1978 में बीए  की परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले सभी छात्रों के रिकॉर्ड के निरीक्षण की 21 दिसंबर, 2016 को अनुमति दे दी. 

अजनबी नहीं देख सकते रिकॉर्ड 

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता विश्वविद्यालय की ओर से पेश हुए और उन्होंने दलील दी कि केंद्रीय सूचना आयोग द्वारा पारित विवादित आदेश रद्द किए जाने योग्य है.  उन्होंने कहा कि उन्हें कोर्ट को रिकॉर्ड दिखाने में कोई आपत्ति नहीं है. उन्होंने कहा कि 1978 की एक आर्ट ग्रेजुएट की डिग्री है. सॉलिसिटर जनरल ने आगे कहा कि विश्वविद्यालय को अदालत को डिग्री दिखाने में कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन वह रिकॉर्ड को अजनबियों की तरफ से जांच के लिए नहीं रख सकता.

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