- Hindi News
- राष्ट्रीय
- बदल गया युद्ध का तरीका, शांति के लिए मिलकर करना होगा काम : सेना प्रमुख
बदल गया युद्ध का तरीका, शांति के लिए मिलकर करना होगा काम : सेना प्रमुख
बदल गया युद्ध का तरीका, शांति के लिए मिलकर करना होगा काम : सेना प्रमुख

आर्मी चीफ ने कहा कि पूरा विश्व एक परिवार की तरह है. शांति बनाए रखने के लिए साथ में मिलकर काम करना जरूरी है. उन्होंने कहा कि नीले हमलेट वाले लोगो की मुख्य भूमिका होती है. टकराव को सुलझाने की कोशिश होनी चाहिए.
आर्मी चीफ जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने संयुक्त राष्ट्र सैन्य योगदान देने वाले देशों (यूएनटीसीसी) के प्रमुखों के सम्मेलन में कहा कि भारत 1950 से पीस मिशन में अपनी भूमिका निभा रहा है.हालांकि युद्ध का स्वरूप अब बदल गया है. शांति की रक्षा के लिए सेनाएं संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के मुताबिक काम करती हैं. सेनाएं सब मिलकर काम करती हैं तब देखा जा सकता है कि एकजुटता की ताकत क्या होती है. उन्होंने कहा कि शांति रक्षा में भारत बड़ा योगदान देता है. करेंट ग्लोबल सिनेरियो में भी 11 कॉन्फ्लिक्ट जोन में 9 में भारतीय सेना अपना योगदान दे रही है.
शांति के लिए मिलकर काम करने की जरूरत
आर्मी चीफ ने कहा कि पूरा विश्व एक परिवार की तरह है. शांति बनाए रखने के लिए साथ में मिलकर काम करना जरूरी है. उन्होंने कहा कि नीले हमलेट वाले लोगो की मुख्य भूमिका होती है. टकराव को सुलझाने की कोशिश होनी चाहिए. जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा कि अब आर्थिक सहयोग भी कम हो रहा है, उसको भी देखना होगा. हमें ऐसा ढांचा तैयार करने की जरूरत है जो मजबूत हो और भविष्य की चुनातियों का सामना कर सके. यह सम्मेलन में एक दूसरे के अनुभव से सीखा जा सकता है.
मजबूत और उत्तरदायी ढांचा बनाने की जरूरत
हमें सेना के संचालन में उन्नत तकनीक को भी शामिल करना होगा. तुरंत तैनाती क्षमताओं को बढ़ाना होगा और योगदान देने वाले देशों के बीच अंतर-संचालन को बढ़ावा देना होगा. हमें साथ मिलकर ऐसा ढांचा बनाना होगा जो मज़बूत और उत्तरदायी दोनों हो. संयुक्त राष्ट्र का नैतिक अधिकार मानवीय संबंधों पर आधारित है.
आर्मी चीफ ने कहा कि पूरा विश्व एक परिवार की तरह है. शांति बनाए रखने के लिए साथ में मिलकर काम करना जरूरी है. उन्होंने कहा कि नीले हमलेट वाले लोगो की मुख्य भूमिका होती है. टकराव को सुलझाने की कोशिश होनी चाहिए.
आर्मी चीफ जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने संयुक्त राष्ट्र सैन्य योगदान देने वाले देशों (यूएनटीसीसी) के प्रमुखों के सम्मेलन में कहा कि भारत 1950 से पीस मिशन में अपनी भूमिका निभा रहा है.हालांकि युद्ध का स्वरूप अब बदल गया है. शांति की रक्षा के लिए सेनाएं संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के मुताबिक काम करती हैं. सेनाएं सब मिलकर काम करती हैं तब देखा जा सकता है कि एकजुटता की ताकत क्या होती है. उन्होंने कहा कि शांति रक्षा में भारत बड़ा योगदान देता है. करेंट ग्लोबल सिनेरियो में भी 11 कॉन्फ्लिक्ट जोन में 9 में भारतीय सेना अपना योगदान दे रही है.
शांति के लिए मिलकर काम करने की जरूरत
आर्मी चीफ ने कहा कि पूरा विश्व एक परिवार की तरह है. शांति बनाए रखने के लिए साथ में मिलकर काम करना जरूरी है. उन्होंने कहा कि नीले हमलेट वाले लोगो की मुख्य भूमिका होती है. टकराव को सुलझाने की कोशिश होनी चाहिए. जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा कि अब आर्थिक सहयोग भी कम हो रहा है, उसको भी देखना होगा. हमें ऐसा ढांचा तैयार करने की जरूरत है जो मजबूत हो और भविष्य की चुनातियों का सामना कर सके. यह सम्मेलन में एक दूसरे के अनुभव से सीखा जा सकता है.
मजबूत और उत्तरदायी ढांचा बनाने की जरूरत
हमें सेना के संचालन में उन्नत तकनीक को भी शामिल करना होगा. तुरंत तैनाती क्षमताओं को बढ़ाना होगा और योगदान देने वाले देशों के बीच अंतर-संचालन को बढ़ावा देना होगा. हमें साथ मिलकर ऐसा ढांचा बनाना होगा जो मज़बूत और उत्तरदायी दोनों हो. संयुक्त राष्ट्र का नैतिक अधिकार मानवीय संबंधों पर आधारित है.
