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बिहार विधानसभा चुनाव 2025: आबादी से अधिक दिया टिकट, नीतीश कुमार की सोशल इंजीनियरिंग की समझिए ABC
बिहार विधानसभा चुनाव 2025: आबादी से अधिक दिया टिकट, नीतीश कुमार की सोशल इंजीनियरिंग की समझिए ABC
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बिहार विधानसभा चुनाव 2025: आबादी से अधिक दिया टिकट, नीतीश कुमार की सोशल इंजीनियरिंग की समझिए ABC
बिहार विधानसभा चुनाव में टिकट वितरण में किन सामाजिक समीकरणों का जेडीयू ने रखा है ध्यान. किस वर्ग और जाति की मिले हैं, कितने टिकट, जाने सब कछ इस कहानी में.
जेडीयू ने अपने सभी 101 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर दी है. एनडीएन ने हुए सीट बंटवारे में उसे 101 सीटें मिली हैं. जेडीयू ने दो हिस्सों में अपने उम्मीदवारों की सूची जारी की. उम्मीदवारों के चयन में जेडीयू ने जाति समीकरणों का ध्यान रखा है. आधे से अधिक टिकट उसने पिछड़ा और अतिपिछड़ा वर्ग को दिए हैं. लेकिन बात जब मुसलमानों को टिकट देने की आई तो नीतीश को पार्टी ने अपने हाथ थोड़े पीछे खींच लिए हैं. जेडीयू ने पिछले चुनाव में 10 मुसलमानों को टिकट दिए थे. लेकिन इस बार केवल चार मुसलमानों को ही टिकट दिए हैं. आइए देखते हैं कि नीतीश की पार्टी ने टिकट वितरण में किस तरह की सोशल इंजीनियरिंग की है.
जेडीयू ने क्या सोशल इंजीनियरिंग की है
अगर हम जेडीयू की सूची देखें तो उसके कुल 101 उम्मीदवारों में पिछड़ा वर्ग के 37, अति पिछड़ा वर्ग के 22, सामान्य वर्ग से 22, अनुसूचित जाति के 15, अल्पसंख्यक वर्ग के चार, अनुसूचित जनजाति का एक और 13 महिलाएं शामिल हैं.
जेडीयू ने 101 में से 59 टिकट पिछड़ों और अति पिछड़ों को दिए हैं. साल 2023 में हुए जातिय सर्वेक्षण के मुताबिक बिहार में पिछड़ा वर्ग की आबादी 27.12 फीसदी और अति पिछड़ा वर्ग की आबादी 36.01 फीसदी है. लेकिन जेडीयू ने पिछड़ा वर्ग के 37 और अति पिछड़ा वर्ग के 22 लोगों को टिकट दिया है. इससे एक बात साफ है कि नीतीश ने टिकट देने में आबादी का ख्याल नहीं रखा है. वहीं पिछड़े वर्ग के लोगों को टिकट देने में नीतीश ने अपने लव-कुश फार्मूले का ख्याल रखा है. उन्होंने पिछड़े वर्ग में दिए 37 में से 33 टिकट तो केवल कुशवाहा, कुर्मी और यादवों को दिए हैं. बाकी के चार टिकट में पिछड़े वर्ग की बाकी की 27 जातियों में से दिए गए हैं. वहीं 112 जातियों वाली अति पिछड़ी जातियों के हिस्से में 22 टिकट आए हैं.
जेडीयू ने दलितों में कैसे बांटी हैं सीटें
जेडीयू के हिस्से में अनुसूचित जाति वर्ग की 38 में से 15 सीटें आई हैं. बिहार में अनुसूचित जाति की सूची में 23 जातियां हैं. लेकिन नीतीश कुमार की पार्टी ने 15 टिकट केवल छह जातियों में बांट दिए हैं. जेडीयू की सूची के मुताबिक जेडीयू ने मुसहर-मांझी को पांच, रविदास (चमार) को पांच, पासी को दो, पासवान (दुसाध) को एक, धोबी को एक और डोम (बसफोर) को एक टिकट दिया है. अनुसूचित जाति के टिकट बांटने में सबसे अधिक टिकट मुसहर और रविदास को दिए हैं. इन दो जातियों को 15 में से 10 टिकट मिले हैं. इसमें सबसे अधिक आबादी रविदास की है. वहीं बिहार में जनसंख्या के मामले की दूसरी सबसे बड़ी जाति पासवान (दुसाध) को केवल एक टिकट मिला है. दुसाध को टिकट देने के मामले में नीतीश कुमार की चिराग पासवान से अदावत का असर देखा जा सकता है.
बिहार विधानसभा चुनाव 2025: आबादी से अधिक दिया टिकट, नीतीश कुमार की सोशल इंजीनियरिंग की समझिए ABC
बिहार विधानसभा चुनाव में टिकट वितरण में किन सामाजिक समीकरणों का जेडीयू ने रखा है ध्यान. किस वर्ग और जाति की मिले हैं, कितने टिकट, जाने सब कछ इस कहानी में.
जेडीयू ने अपने सभी 101 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर दी है. एनडीएन ने हुए सीट बंटवारे में उसे 101 सीटें मिली हैं. जेडीयू ने दो हिस्सों में अपने उम्मीदवारों की सूची जारी की. उम्मीदवारों के चयन में जेडीयू ने जाति समीकरणों का ध्यान रखा है. आधे से अधिक टिकट उसने पिछड़ा और अतिपिछड़ा वर्ग को दिए हैं. लेकिन बात जब मुसलमानों को टिकट देने की आई तो नीतीश को पार्टी ने अपने हाथ थोड़े पीछे खींच लिए हैं. जेडीयू ने पिछले चुनाव में 10 मुसलमानों को टिकट दिए थे. लेकिन इस बार केवल चार मुसलमानों को ही टिकट दिए हैं. आइए देखते हैं कि नीतीश की पार्टी ने टिकट वितरण में किस तरह की सोशल इंजीनियरिंग की है.
जेडीयू ने क्या सोशल इंजीनियरिंग की है
अगर हम जेडीयू की सूची देखें तो उसके कुल 101 उम्मीदवारों में पिछड़ा वर्ग के 37, अति पिछड़ा वर्ग के 22, सामान्य वर्ग से 22, अनुसूचित जाति के 15, अल्पसंख्यक वर्ग के चार, अनुसूचित जनजाति का एक और 13 महिलाएं शामिल हैं.
जेडीयू ने 101 में से 59 टिकट पिछड़ों और अति पिछड़ों को दिए हैं. साल 2023 में हुए जातिय सर्वेक्षण के मुताबिक बिहार में पिछड़ा वर्ग की आबादी 27.12 फीसदी और अति पिछड़ा वर्ग की आबादी 36.01 फीसदी है. लेकिन जेडीयू ने पिछड़ा वर्ग के 37 और अति पिछड़ा वर्ग के 22 लोगों को टिकट दिया है. इससे एक बात साफ है कि नीतीश ने टिकट देने में आबादी का ख्याल नहीं रखा है. वहीं पिछड़े वर्ग के लोगों को टिकट देने में नीतीश ने अपने लव-कुश फार्मूले का ख्याल रखा है. उन्होंने पिछड़े वर्ग में दिए 37 में से 33 टिकट तो केवल कुशवाहा, कुर्मी और यादवों को दिए हैं. बाकी के चार टिकट में पिछड़े वर्ग की बाकी की 27 जातियों में से दिए गए हैं. वहीं 112 जातियों वाली अति पिछड़ी जातियों के हिस्से में 22 टिकट आए हैं.
जेडीयू ने दलितों में कैसे बांटी हैं सीटें
जेडीयू के हिस्से में अनुसूचित जाति वर्ग की 38 में से 15 सीटें आई हैं. बिहार में अनुसूचित जाति की सूची में 23 जातियां हैं. लेकिन नीतीश कुमार की पार्टी ने 15 टिकट केवल छह जातियों में बांट दिए हैं. जेडीयू की सूची के मुताबिक जेडीयू ने मुसहर-मांझी को पांच, रविदास (चमार) को पांच, पासी को दो, पासवान (दुसाध) को एक, धोबी को एक और डोम (बसफोर) को एक टिकट दिया है. अनुसूचित जाति के टिकट बांटने में सबसे अधिक टिकट मुसहर और रविदास को दिए हैं. इन दो जातियों को 15 में से 10 टिकट मिले हैं. इसमें सबसे अधिक आबादी रविदास की है. वहीं बिहार में जनसंख्या के मामले की दूसरी सबसे बड़ी जाति पासवान (दुसाध) को केवल एक टिकट मिला है. दुसाध को टिकट देने के मामले में नीतीश कुमार की चिराग पासवान से अदावत का असर देखा जा सकता है.
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